"संस्कृत भाषा": अवतरणों में अंतर

[अनिरीक्षित अवतरण][पुनरीक्षित अवतरण]
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पिछले 8 बदलाव अस्वीकार किये और आर्यावर्त का 4163950 अवतरण पुनर्स्थापित किया: कृपया अपनी बात वार्तापृष्ठ पर रखें और चर्चा करें।
पंक्ति 8:
|iso1=sa|iso2=san|iso3=san
}}
'''संस्कृत''' (संस्कृतम्) [[भारतीय उपमहाद्वीप]] की एक भाषा है। इसे '''देववाणी''' अथवा '''सुरभारती''' भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा नही है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, [[हिंदी भाषा|हिंदी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[सिन्धी भाषा|सिन्धी]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की [[रोमानी भाषा]] भी शामिल है। संस्कृत में [[वैदिक धर्म]] से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। जबकि सबसे प्राचीन ग्रंथों को पाली भाषा[[बौद्ध धर्म]] (विशेषकर महायान ) तथा [[जैन धर्म|जैन मत]] औरके फिर बाद मेंभी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में भी लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर [[यज्ञ]] और [[पूजा]] संस्कृत में ही होती हैं। [[भीम राव अम्बेडकर]] का मानना था कि संस्कृत की बजाय हिंदी पूरे भारत को भाषाई एकता के सूत्र में बांध सकने वाली इकलौती भाषा हो सकती है, अतः उन्होंने हिन्दी कोइसे देश की आधिकारिक भाषा बनाने का सुझाव दिया था।<ref>[http://ncerthindi.nicwebdunia.incom/textbooknational-hindi-news/textbooksamskrita-bharati-dinesh-kamath-118052200096_1.htm?fess1=0html नैतिकता का मार्ग संस्कृत से होकर जाता है।] (दिनेश कामत)</ref><ref>[https://naidunia.jagran.com/editorial/expert-12comment-ambedkar-was-in-favour-of-sanskrit-731080 संस्कृत के पक्षधर थे आंबेडकर] (डॉ. मुरली मनोहर जोशी)</ref> <ref>[https://www.thehindu.com/news/cities/Mangalore/ambedkar-wanted-sanskrit-to-be-official-language-of-india/article25151860.ece Ambedkar wanted Sanskrit to be official language of India]</ref>
 
[[भारत का संविधान|भारत के संविधान]] की [[आठवीं अनुसूची]] में संस्कृत को भी सम्मिलित किया गया है। यह [[उत्तराखण्ड]] की द्वितीय राजभाषा है। [[आकाशवाणी]] और [[दूरदर्शन]] से संस्कृत में समाचार प्रसारित किए जाते थे।हैं। कतिपय वर्षों से डी. डी. न्यूज (DD News) द्वारा '''वार्तावली''' नामक अर्धहोरावधि का संस्कृत-कार्यक्रम भी प्रसारित किया जा रहा था। नो ब्राह्मणवाद को भारतिय जनमानस में थोपने का एक पर्यास था।है, जो हिन्दी चलचित्र गीतों के संस्कृतानुवाद, सरल-संस्कृत-शिक्षण, संस्कृत-वार्ता और महापुरुषों की संस्कृत जीवनवृत्तियों, सुभाषित-रत्नों आदि के कारण अनुदिन लोकप्रियता को प्राप्त हो पाने के कारण असफल हो गयारहा है।
 
== इतिहास ==
पंक्ति 187:
 
== भारत और विश्व के लिए संस्कृत का महत्त्व ==
* संस्कृत कई भारतीय भाषाओं की जननी है। इनकी अधिकांश शब्दावली या तो संस्कृत से ली गयी है या संस्कृत से प्रभावित है। पूरे भारत में संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन से भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक एकरूपता आयेगी जिससे भारतीय एकता बलवती होगी। यदि इच्छा-शक्ति हो तो संस्कृत को [[हिब्रू]] की भाँति पुनः प्रचलित भाषा भी बनाया जा सकता है औऱ ब्राह्मणवाद को सही से स्थापित किया जा सकता है।
 
* हिन्दू, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ पाली भाषा मे हैं जो सबसे प्राचीन भाषा है बाद में इसे संस्कृत में भी लिखा गया हैं।
 
* हिन्दुओं के सभी पूजा-पाठ और धार्मिक संस्कार की भाषा संस्कृत ही है।
 
* हिन्दुओं, बौद्धों और जैनों के नाम भी पाली तथा संस्कृत पर आधारित होते हैं।
 
* भारतीय भाषाओं की [[तकनीकी शब्दावली]] भी संस्कृत से ही व्युत्पन्न की जाती है। [[भारतीय संविधान]] की धारा 343, धारा 348 (2) तथा 351 का सारांश यह है कि देवनागरी लिपि में लिखी और मूलत: हिंदीसंस्कृत से अपनी [[पारिभाषिक शब्दावली]] को लेने वाली हिन्दी [[राजभाषा]] है।
 
* हिंदीसंस्कृत, भारत को एकता के सूत्र में बाँधती है।
 
* संस्कृत का प्राचीन साहित्य अत्यन्त प्राचीन, सिमितविशाल और विविधतापूर्ण है। इसमें अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-अंधविश्वासविज्ञान और साहित्य का खजाना है। इसके अध्ययन से ज्ञान-भक्तीविज्ञान के क्षेत्र में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
 
* संस्कृत को कम्प्यूटर के लिये ([[कृत्रिम बुद्धि]] के लिये) सबसे उपयुक्त भाषा कभी भी नही माना जाता है लेकिन अफवाहों के आधार पर लोग ऐसा सोचते हैं।है।
 
==संस्कृत का अन्य भाषाओं पर प्रभाव==