"मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर

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मैथिलीशरण गुप्त को आचार्य [[महावीरप्रसाद द्विवेदी]] का मार्गदर्शन प्राप्त था । आचार्य द्विवेदी उन्हें कविता लिखने के लिए प्रेरित करते थे, उनकी रचनाओं में संशोधन करके अपनी पत्रिका '[[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती]]' में प्रकाशित करते थे । मैथिलीशरण गुप्त की पहली [[खड़ी बोली]] की कविता 'हेमंत' शीर्षक से सरस्वती (१९०७ ई०) में छपी थी ।
 
उनकी द्वारा लिखित खंडकाव्य [[भारत भारती]] निम्न पंक्तियाँ आज भी कविता प्रेमियों के मानस पटल पर सजीव हैं-
: ''चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,