"सितार": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो 2405:205:C926:DAB4:E4B0:9810:D5E7:FF31 (Talk) के संपादनों को हटाकर चक्रबोट के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 4:
आधुनिक काल में सितार के तीन घराने अथवा शैलियाँ इस के वैविध्य को प्रकाशित करते रहे हैं। बाबा अलाउद्दीन खाँ द्वारा दी गयी तन्त्रकारी शैली जिसे पण्डित रविशंकर निखिल बैनर्जी ने अपनाया दरअसल सेनी घराने की शैली का परिष्कार थी। अपने बाबा द्वारा स्थापित इमदादखानी शैली को मधुरता और कर्णप्रियता से पुष्ट किया उस्ताद [[विलायत खाँ]] ने। पूर्ण रूप से तन्त्री वाद्यों हेतु ही वादन शैली '''मिश्रबानी''' का निर्माण डॉ [[लालमणि मिश्र]] ने किया तथा सैंकडों रागों में हजारों बन्दिशों का निर्माण किया। ऐसी ३०० बन्दिशों का संग्रह वर्ष २००७ में प्रकाशित हुआ है।
==सन्दर्भ==
|