"रुद्राष्टकम्": अवतरणों में अंतर
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संकर दीनदयाल अब एहि पर होहु कृपाल।
साप अनुग्रह होइ जेहिं नाथ थोरेहीं काल।।108(घ)।।
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==अनुवाद==
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