"ईसा इब्न मरियम": अवतरणों में अंतर

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| caption = अरबी में ''ईसा इब्न मरियम, अलाइअलैहिस्सलाम सलाम'' अंकित
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'''ईसा इब्न मरियम''' (यानि: मरियम के पुत्र ईसा) या '''ईसा मसीह''' (सम्मानजनक रूप से:''हज़रात ईसा अलाइ सलामअलैहिस्सलाम''; अन्य नाम: '''यीशुईसा मसीह)''', '''जीसस क्राइस्ट'''), [[इस्लाम]] के अनुसार, [[अल्लाह]] द्वारा, मानव जाति को भेजे गए [[पैग़म्बर|पैग़म्बरों]] में से एक हैं, जोकि [[ईसाई धर्म]] के प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक हैं। ईसा, [[इस्लाम]] के उन २५ पैग़म्बरों में से एक हैं, जिनका उल्लेख [[क़ुरान]] में किया गया है। इस्लामी [[धर्मशास्त्र]] के अनुसार, ईसा को [[मुहम्मद]] के बाद दुसरे सबसे महत्वपूर्ण स्थान पर रखा जाता है। [[बाइबिल]] में दिए गए उनकी आत्मकथा से जुड़े लगभग सारी दैवी घटनाओं को इस्लाम में माना जाता है, जिसमें: [[यीशु मसीह का कुंवारीगर्भ से जन्म|कुँवारीगर्भ से जन्म]], उनके चमत्कार, उनके क्रूस पर चढ़ाय जाने, मृत्यु और [[यीशु का मृतोत्थान|मृतोत्थान]] शामिल हैं। हालाँकि कुरान के कुछ विवोचनों के अनुसार, क्रूस पर चढ़ाना, मृत्यु और मृतोत्थान जायसी घटनाएँ नहीं हुई थी। बहरहाल, मसीहियों के विरुद्ध मुस्लमान, ईसा को ईश्वरपुत्र या [[ईसाई त्रिमूर्ति|त्रिमूर्तित्व]] को नहीं मानते।
 
[[इस्लाम]] में ईसा मसीह को एक आदरणीय [[नबी]] ([[मसीहा]]) माना जाता है, जो [[ईश्वर]] (अल्लाह) ने इस्राइलियों को उनके संदेश फैलाने को भेजा था। [[क़ुरान]] के अनुसार, [[अल्लाह]] ने ईसा को [[इन्जील]]फरिश्ते नमकके पवित्रद्वारा किताबइंजील कानामक [[इल्हाम]]पवित्र किताब दिया थादी, जोकि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, अल्लाह द्वारा मानवता को प्रदान किये गए चार पवित्र किताबों में से एक है। क़ुरान में ईसा के नाम का ज़िक्र मुहम्मद से भी ज़्यादा है और मुसुल्मानमुसलमान ईसा के [[कुँवारी माता]] द्वारा जन्मा मानते हैं।
 
==इस्लाम और ईसाई धर्म में ईसा के व्यक्तित्व में अंतर==
[[File:Virgin Mary and Jesus (old Persian miniature).jpg|thumb|ईसा मसीह और मरियम की एक पुरानी ईरानी चित्र]]
 
इस्लाम में ईसा मसीह सभी नबियों की तरह ही महज़ एक नश्वर इंसान माना जाता है, और ईसाई मान्यता की तरह, ईश्वर-पुत्र या त्रिमूर्ति का सदस्य नहीं माना जाता है, और उनकी पूजा पर मनाही है। उन्हें चमत्कार करने की क्षमता ईश्वर से मिली थी और स्वयं ईसा में ऐसी शक्तियां नहीं मौजूद थीं। यह भी नहीं माना जाता है कि वे क्रूस पर लटके। इस्लामी परंपरा के मुताबिक़, क्रूस पर मरने के ब-वजूद, ईश्वर ने उन्हें सीधे स्वर्ग में उठायाउठा लिया और ईसा मसीह कयामत से पहले दुनिया में दुबारा आएंगे और दज्जाल को गयाखत्म था।करेंगे।
 
सब नबियों की तरह, ईसा मसीह भी क़ुरान में एक मुस्लिम कहलाए गए हैं। क़ुरान के मुताबिक़, ईसा ने अपने आप को ईश्वर-पुत्र कभी नहीं माना और वे [[क़यामत]] के दिन पर इस बात का इंकार करेंगे। मुसुल्मानोंमुसलमानों की मान्यता है कि क़यामत के दिन पर, ईसा मसीह पृथ्वी पर लौट आएंगे और [[न्याय क़याम]] करेंगा।
 
=== मुहम्मद और ईसा मसीह ===
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[[क़ुरान]] में ईसा का नाम 25 बार आया है। [[सुराह मरियम]] में इनके जन्म की कथा है और इसी तरह सुराह अलि इमरान में भी। क़ुरान में ईसा का ज़िक्र, मुहम्मद से भी अधिक है।
 
== इस्लाम के अनुसार, ईसा की मृत्यु एवं धर्तीधरती से प्रस्थान ==
[[इस्लाम|इ]] में ईसा का क्रूस पर चढ़ना, मृत्यु और उनका पुनरागमन बहुत महत्व रखता है अधिकांश मुस्लमान, उनकी मृत्यु और पुनरागमन को नहीं मानते। मुसलमानों की बड़ी संख्या का मानना<nowiki/>नना है कि [[कुरान]] की इन आयतों में, जिनमें मसीह की मृत्यु का उल्लेख है, वह केवल बामुहावरा है। अधिनांश उलेमा का कहना है कि मसीह के क्रूस पर नहीं चढ़ाया गया था, बल्कि उन्हें जन्नत में उठा लिया गया। जबकि कुछ अन्य उलेमा का मानना है कि उनको मृत्यु के बाद, ईश्वर द्वारा पुनः जीवित किया गया और फिर [[जन्नत]] ले जाया गया। लेकिन इस पर सभी मुसलमान उलेमा की सहमति है कि मसीह [[क़यामत]] समय, पुनः धरती पर आएंगे और ईश्वर की इच्छा के अनुसार धरती पर [[इस्लाम]] लागु करेंगे।
 
==इन्हें भी देखें==