"ज्ञान योग": अवतरणों में अंतर

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एक रूप में ज्ञानयोगी व्यक्ति ज्ञान द्वारा ईश्वरप्राप्ति मार्ग में प्रेरित होता है। स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित ज्ञानयोग में मायावाद,मनुष्य का यथार्थ व प्रकृत स्वरूप,माया और मुक्ति,ब्रह्म और जगत,अंतर्जगत,बहिर्जगत,बहुतत्व में एकत्व,ब्रह्म दर्शन,आत्मा का मुक्त स्वभाव आदि नामों से उनके द्वारा दिये भाषणों का संकलन है।
 
अब यदि विश्लेषण किया जाये तो वास्तव में ज्ञान योगी मायावाद के असल तत्व को जानकर,अपनी वास्तविकता और वेदांत के अद्वैत मत के अनुरूप आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानकर मुक्ति प्राप्त करता है। "ब्रह्म सत्यम(fundamental), जगत्‌ मिथ्या(Derivable)"।
 
== इन्हें भी देखें ==