"कीर्तन": अवतरणों में अंतर

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[[हिन्दू धर्म]] में ईश्वर या देवता की भक्ति के लिये उनके नामों को भांति-भांति रूप में उच्चारना '''कीर्तन''' कहलाता है। यह [[भक्ति]] के अनेक मार्गों में से एक है। अन्य हैं - [[श्रवण]], [[स्मरण]], [[अर्चन]] आदि।नारदीय कीर्तन भी कीर्तन का एक प्रकार है जिसमें देवर्षी नारद के चलते -फिरते हरिगुण गान करने की परंपरा है;कीर्तन की इस पुरानी शैली का प्रचलन भारत के अनेकों राज्यों में रहा है;महाराष्ट्र में तो कीर्तन की इस शैली का खूब प्रचार है;अखिल भारतीय स्तर पर नारदीय कीर्तन का आयोजन होता है; किन्तु अन्य राज्यों में भी यथा-राजस्थान,बिहार,झारखण्ड आदि में भी नारदीय कीर्तन का आयोजन धार्मिक अनुष्ठानों में होता रहा है;
 
== इन्हें भी देखें ==