"मानववाद": अवतरणों में अंतर

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मानववाद भिन्न रूपों में विश्व की हर प्रमुख सभ्यता में पाया गया है। [[भारत]] में १००० ईसापूर्व में [[चार्वाक दर्शन]] की विचारधारा में धार्मिक विचारों से हटकर मनुष्यों के विवेक और तर्कशक्ति पर ज़ोर दिया गया। [[चीन]], [[प्राचीन यूनान]] और अन्य संस्कृतियों में भी मानववादी मिलते हैं। आधुनिक युग में [[कार्ल सेगन]] जैसे कई वैज्ञानिक मानववाद से जुड़े हुए रहे हैं।
 
मानववाद की अवधारणा का प्रारंभिक रूप से उस विचारधारा से संबंध है जिसकी दृष्टि व्यक्ति की स्वायत्तता पर केद्रितकेंद्रित है। मानववाद शब्द के कई अर्थ है। सामान्यतः यह एक सिद्धांत है जिसके अनुसार “मानव मानवीय कर्म का अंतिम प्रस्थान बिन्दु और संदर्भ बिंदु है।” (तजवेतन टोडोराव)। मानववाद शब्द पहली बार संभवतः फ्रासीसी विचारक [[मोंटेन]] के लेखन में आया है जहाँ उसने अपने चिंतन को धर्मशास्त्रियों के चिंतन के विपरीत प्रस्तुत किया। मानववाद, यूरोप में [[पुनर्जागरण]] एवं [[यूरोपीय ज्ञानोदय|ज्ञानोदय]] का परिणाम था और इसकी पूर्ण अभिव्यक्ति अमरिकी और फ्रांसीसी क्रांतियों के दौरान हुई।
 
[[ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी]] ने मानवावाद को इस प्रकार परिभाषित किया हैः