"प्राच्यवाद": अवतरणों में अंतर

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महत्त्वाकांक्षाओं को तर्क प्रदान किया जा सके।
 
यह उत्तर-औपनिवेशिक सिद्धांत के आधारभूत प्रतिपादनों में से एक है। भारत का अध्ययन करने वाले ज्ञान प्रकाश, निकोलस डिर्क और रोनाल्ड इण्डेन जैसे समाज वैज्ञानिकों, और हामिद दुबोशी, होमी भाभा और गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक जैसे साहित्यशास्त्रियों पर भीप्राच्यवाद की स्थापनाओं का प्रभाव पड़ा है।
 
== अवधारणात्मक इतिहास ==