"नुक़्ता": अवतरणों में अंतर

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{{एक स्रोत}}
'''नुक़्ता''' [[देवनागरी]], [[गुरमुखी]] और अन्य [[ब्राह्मी परिवार की लिपियों]] में किसी व्यंजन [[अक्षर]] के नीचे लगाए जाने वाले बिंदु को कहते हैं। इस से उस अक्षर का उच्चारण परिवर्तित होकर किसी अन्य व्यंजन का हो जाता है। मसलन 'ज' के नीचे नुक्ता लगाने से 'ज़' बन जाता है और 'ड' के नीचे नुक्ता लगाने से 'ड़' बन जाता है। नुक़्ते ऐसे व्यंजनों को बनाने के लिए प्रयोग होते हैं जो पहले से मूल लिपि में न हों, जैसे कि 'ढ़' मूल देवनागरी वर्णमाला में नहीं था और न ही यह [[संस्कृत]] में पाया जाता है। [[अरबी-फ़ारसी लिपि]] में भी अक्षरों में नुक़्तों का प्रयोग होता है, उदाहरणार्थ '{{Nastaliq|ur|ر}}' का उच्चारण 'र' है जबकि इसी अक्षर में नुक़्ता लगाकर '{{Nastaliq|ur|ز}}' लिखने से इसका उच्चारण 'ज़' हो जाता है।
इन भाषाओं में ज एवं ज़, दोनों ही शब्द उपलब्ध एवं प्रयोग होते हैं, एनके अलावा एक अन्य ज़ भी होता है जिनके लिये निम्न शब्द प्रयोग होते हैं: ज के लिये जीम, ज़ के लिये ज़्वाद (ض)/ज़े (ژ‬)/ ज़ाल(ذ)/ज़ोए (ظ) - ये चार अक्षर होते हैं। यहां ध्यान योग्य ये है कि चार अक्षर ज़ के लिये होने के बावजूद ज के लिये जीम (ج) होता ही है। अतः जीम का प्रयोग भी होता है, जैसे जज़्बा में ज एवं ज़ दोनों ही प्रयुक्त हैं। ऐसे ही बहुत स्थानों पर ग के लिये गाफ़ (گ) एवं ग़ (غ) के लिये ग़ैन का भी प्रयोग होता है।