"मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर

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: ''उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है।
 
===दार्शनिकता===
गुप्त जी का दर्शन उनके कलाकार के व्यक्तित्व पक्ष का परिणाम न होकर सामाजिक पक्ष का अभिव्यक्तिकरण है। वे बहिर्जीवन के दृष्टा और व्याख्याता कलाकार हैं, अन्तर्मुखी कलाकार नहीं। कर्मशीलता उनके दर्शन की केन्द्रस्थ भावना है। साकेत में भी वे राम के द्वारा कहलाते हैं-