"रामधारी सिंह 'दिनकर'": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:The Prime Minister, Shri Narendra Modi at the Golden Jubilee celebrations of the works of Rashtrakavi Ramdhari Singh Dinkar, in New Delhi on May 22, 2015 (1).jpg|अंगूठाकार]]
'''''रामधारी सिंह 'दिनकर'''''' ([[२३ सितंबर]] [[१९०८]]- [[२४ अप्रैल]] [[१९७४]]) [[हिन्दी]] के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे।<ref>[http://www.anubhuti-hindi.org/gauravgram/dinker/index.htm जीवनी एवं रचनाएँ] अनुभूति पर.</ref><ref name=sahitya>[http://www.indiapicks.com/Literature/Sahitya_Academy/Hindi/Hindi-1959.htm साहित्य अकादमी पुरस्कार]</ref> वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के [[बेगूसराय|बेगुसराय जिले]] का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था।
 
'''''रामधारी सिंह 'दिनकर'''''' ([[२३ सितंबरसितम्बर]] [[१९०८]]- [[२४ अप्रैल]] [[१९७४]]) [[हिन्दी]] के एक प्रमुख लेखक, [[कवि]]निबन्धकार[[निबन्ध]]कार थे।<ref>[http://www.anubhuti-hindi.org/gauravgram/dinker/index.htm जीवनी एवं रचनाएँ] अनुभूति पर.</ref><ref name=sahitya>[http://www.indiapicks.com/Literature/Sahitya_Academy/Hindi/Hindi-1959.htm साहित्य अकादमी पुरस्कार]</ref> वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ [[वीर रस]] के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के [[बेगूसराय|बेगुसराय जिले]] का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था।
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
 
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
 
उर्वशी को [[भारतीय ज्ञानपीठ]] पुरस्कार जबकि [[कुरुक्षेत्र]] को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ काव्यों में ७४वाँ स्थान दिया गया।
 
== जीवन परिचय ==
दिनकर का जन्म [[२३ सितंबर]] [[१९०८]] को सिमरिया[[बिहार]] गाँव, बेगूसराय,के [[बिहारबेगूसराय जिला|बेगूसराय जिले]] के सिमरिया गाँव में हुआ था। उन्होंने [[पटना विश्वविद्यालय]] से [[इतिहास]], [[दर्शनशास्त्र]] और [[राजनीति विज्ञान]] में बीए किया। उन्होंने [[संस्कृत]], [[बांग्ला]], [[अंग्रेजी]] और [[उर्दू]] का गहन अध्ययन किया था। बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गये। [[१९३४]] से [[१९४७]] तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक पदों पर कार्य किया। [[१९५०]] से [[१९५२]] तक मुजफ्फरपुर कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे, [[भागलपुर विश्वविद्यालय]] के उपकुलपति के पद पर कार्य किया और उसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने।

उन्हें [[पद्म विभूषण]] की उपाधि से भी अलंकृत किया गया। उनकी पुस्तक ''संस्कृति के चार अध्याय ''<ref>[http://www.sahitya-akademi.org/sahitya-akademi/awa10306.htm#hindi Sahitya Akademi Awards 1955-2007] [[साहित्य अकादमी पुरस्कार|साहित्य अकादमी पुरस्कारों]] का आधिकारिक जाल स्थल</ref> के लिये [[साहित्य अकादमी]] पुरस्कार तथा ''उर्वशी'' के लिये [[भारतीय ज्ञानपीठ]] पुरस्कार प्रदान किया गया। अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे।
 
[[द्वापर]] युग की ऐतिहासिक घटना [[महाभारत]] पर आधारित उनके प्रबन्ध काव्य [[कुरुक्षेत्र]] को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ काव्यों में ७४वाँ स्थान दिया गया।<ref>{{cite web|url=http://kumarparal.hubpages.com/hub/TOP-100-FAMOUS-EPICS-OF-THE-WORLD |title=Top 100 famous epics of the World |trans-title=विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ प्रबन्ध काव्य| language = en|accessdate=9 दिसम्बर 2013}}</ref>