"अयोध्या": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
Link of asi
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 28:
 
== इतिहास ==
उत्खनन का साक्ष्य
[[वेद]] में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है, "अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या"<ref>अथर्ववेद</ref> और इसकी संपन्नता की तुलना [[स्वर्ग]] से की गई है। [[रामायण]] के अनुसार अयोध्या की स्थापना [[मनु]] ने की थी। यह पुरी सरयू के तट पर बारह योजन (लगभग १४४ कि.मी) लम्बाई अाैर तीन योजन (लगभग ३६ कि.मी.) चौड़ाई में बसी थी। <ref>वाल्मीकि रामायण</ref> कई शताब्दी तक यह नगर [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] राजाओं की राजधानी रहा। अयोध्या मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहां आज भी हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम एवं जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] का जन्म हुआ था।
 
Link of A.S.I.
इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है। उक्त क्षत्रियों में दाशरथी [[राम|रामचन्द्र]] [[अवतार]] के रूप में [[पूजा|पूजे]] जाते हैं। पहले यह कोसल जनपद की राजधानी था। प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था। यहाँ पर सातवीं शाताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था। उसके अनुसार यहाँ 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे।
 
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Archaeology_of_Ayodhya
 
मान्यता अनुुुसार
 
[[वेद]] में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है, "अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या"<ref>अथर्ववेद</ref> और इसकी संपन्नता की तुलना [[स्वर्ग]] से की गई है। [[रामायण]] के अनुसार अयोध्या की स्थापना [[मनु]] ने की थी। यह पुरी सरयू के तट पर बारह योजन (लगभग १४४ कि.मी) लम्बाई अाैर तीन योजन (लगभग ३६ कि.मी.) चौड़ाई में बसी थी। <ref>वाल्मीकि रामायण</ref> कई शताब्दी तक यह नगर [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] राजाओं की राजधानी रहा। अयोध्या मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहां आज भी हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम एवं जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] का जन्म हुआ था।इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है। उक्त क्षत्रियों में दाशरथी [[राम|रामचन्द्र]] [[अवतार]] के रूप में [[पूजा|पूजे]] जाते हैं। पहले यह कोसल जनपद की राजधानी था। प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था। यहाँ पर सातवीं शाताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था। उसके अनुसार यहाँ 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे।
 
== मुख्य आकर्षण ==