"भगवान": अवतरणों में अंतर

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६-सौम्यता
जिसके पास ये ६ गुण है वह भगवान है। पाली भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- तोड़ना। जो राग,द्वेष ,और मोह के बंधनों को तोड़ चुका हो अथवा भाव में पुनः आने की आशा को भंग कर चुका हो भावनाओ से परे जहाँ सारे विचार शून्य हो जाये और वहीँ से उनकी यात्रा शुरु हो उसे भगवान कहा जाता है।
 
 
 
 
परमात्मा की परिभाषा _____ प्रायः स्वयं के धर्म में जो स्वरूप है उसे ही परमात्मा माना जाता है परन्तु अत्याधिक चिंतन मनन से जिस स्वरूप की कल्पना करता है मनुष्य उसे ही परमात्मा मानता है परन्तु जब कोई उस स्वरूप के पास जाते जाता है तो वहां सिर्फ प्रकाश ही रह जाता है कहा जाऐ तो प्रकाश सृष्टि का मूल स्वरूप है फिर प्रकाश कम होते जाता है तो पृथ्वी प्राप्त होता वास्तव में पृथ्वी ही विश्व है पृथ्वी के बाहर जो अंतरिक्ष है वहां भ्रम है इसलिए पृथ्वी ही परमात्मा है क्योंकि मानव शरीर से पृथ्वी की संरचना पूर्णतः मिलती है इसके महाद्वीप एक मानव देह के रचना में है इसके लावा रक्त जैसे है जो सुखने पर रक्त की थका बनाते है सूर्य नेत्र है सहारा रेगिस्तान फेफड़े जैसे है लगातार वायु का चलते रहते है शरीर में पानी अधिक है उसी प्रकार पृथ्वी पर जल अधिक है भूमि कम है जैसे शरीर में तत्व कम है ऐसे कई प्रमाण से प्रमाणित होता है की पृथ्वी ही परमात्मा है और सभी मनुष्य इस पृथ्वी के जल वायु भोजन वातावरण से निर्मित जीव है स्त्री व पुरुष मात्र मध्यम मात्र है वास्तव में सभी मनुष्यों का परम् पिता परमेश्वर पृथ्वी ही है ।
ऐसे ही वाक्य प्रचीन धर्मो के पुस्तकों में भी लिखा है की विश्व ही परमात्मा है परन्तु सभी मनुष्य उसे अपने चेतना के परिकल्पना के अनुसार उसका स्वरूप स्वीकार करते है इसलिए उनके लिए उनके परिकल्पना ही परमात्मा है और वही परमात्मा सम्पूर्ण विश्व का निर्माण किया है ।
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सभी प्रचीन धर्म एक दूसरे से भिन्न व विपरित है
जैसे हिन्दू ईसाई यहूदी शिन्तो ताओ कन्यफूजियस जैन बौध्द मूर्ति पूजा करते जबकी सिख मुस्लिम मूर्ति पूजा नहीं करते है :::: हिन्दू शिन्तो ताओ कन्यफूजियस देवी देवता की पूजा करते है जबकी सिख मुस्लिम इसाई देवी देवता को नहीं मानते है :::: हिन्दू धर्म में महात्मा का कोई उच्च नहीं मानते है देवी देवताओं से जबकी यहूदी मुस्लिम इसाई सिख जैन बौध्द पारसी में मसीहा पैगम्बर गुरूओ जैसे महात्माओ को ही परमात्मा के बाद मान्यता प्राप्त है ।
हिन्दू के लिए परमात्मा का स्वरूप शिव और विष्णु है ।
इसाई के लिए परमात्मा का स्वरूप GOD FATHER है ।
मुस्लिम के लिए अल्लाह है जो अर्श पर विराजमान है और हज़रत मुहम्मद ﷺ अल्लाह के रसूल(पैगम्बर) हैं।
सिख धर्म में परमात्मा निर्गुण निराकार है कहा जाऐ तो एक खाली स्थान है ।
शिन्तो में सूर्य को ही परमात्मा माना जाता है ।
जैन धर्म में तीर्थंकर को ही परमात्मा माना जाता है जैन धर्म के अनुसार जिसकी चेतना जागृत होती है वही परमात्मा बन जाता है ।
सम्पूर्ण विश्व की अनुसूचित जनजाति अर्थात आदिवासी जो मात्र आदिवासी संस्कृति को ही मानते है धर्म को नहीं उनके लिए उनके क्षेत्र का प्रमुख विशाल देवता ही परमात्मा है ।
कन्फूजियस में शायद प्रकृति अर्थात विश्व को ही परमात्मा कहा गया है।
ताओ धर्म में देवी देवता को ही परमात्मा कहा गया है ।
यहूदी में यहूवा को परमात्मा कहा गया है ।
पारसी में भी परमात्मा का अलग स्वरूप अहुर मज्दा है ।
जबकी बौध्द धर्म में नहीं है मात्र अवचेतन मन है जिसके कारण सम्पूर्ण विश्व गतिमान है ।
सभी धर्मों के मिथ्क के धर्म ग्रन्थ उनके प्रर्थना स्थल इस बात को प्रमाणित करते है की सभी सत्य है ।
_______ वास्तव में सभी धर्म के मिथ्क उस धर्म के अनुयायी के लिए सत्य है और उस धर्म में परमात्मा का स्वरूप जैसा माना गया है वही सत्य है ।
_______ स्वयं के धर्म संस्कृति के मान्यताओ का अनुसरण करते हुए अपने राष्ट्र क्षेत्र की शासन प्रणाली के नियति नियम का पालन करते हुऐ अपने निजी जीवन के कर्तव्य व समाजिक जिन्दगी का उत्तरदायित्व निभाते हुए जीवनयापन करना चाहिए मनुष्य को अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए मानसिक व शारीरिक परिश्रम करते रहना चाहिए जीवनभर ।
 
== संज्ञा ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/भगवान" से प्राप्त