"अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
[[चित्र:Andaman.jpg|right|thumb|250px|अंडमान तट]]
इस द्वीप समूह पर १७ वीं सदी में मराठों द्वारा अधिकार किया गया था। इसके बाद इस पर अंग्रेजों का शासन हो गया और बाद में दूसरे [[विश्वयुद्ध]] के दौरान [[जापान]] द्वारा इस पर अधिकार कर लिया गया। कुछ समय के लिये यह द्वीप [[नेताजी सुभाषचंद्र बोस]] की [[आज़ाद हिन्द फौज]] के अधीन भी रहा था। बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि देश में कहीं भी पहली बार पोर्ट ब्लेयर में ही तिरंगा फहराया गया था। यहां नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने 30 दिसम्बर 19451943 को यूनियन जैक उतार कर तिरंगा झंडा फहराया था। इसलिय अंडमान निकोबार प्रशासन की तरफ से 30 दिसम्बर को हर साल एक भव्य कार्यक्रम मनाने की शुरूआत की गई है। जनरल लोकनाथन भी यहाँ के गवर्नर रहे थे। १९४७ में ब्रिटिश सरकार से मुक्ति के बाद यह भारत का केन्द्र शासित प्रदेश बना।
[[चित्र:Great Andamanese couple.jpg|200px|left|thumb|अंडमानी युगल]]
ब्रिटिश शासन द्वारा इस स्थान का उपयोग स्वाधीनता आंदोलन में दमनकारी नीतियों के तहत क्रांतिकारियों को भारत से अलग रखने के लिये किया जाता था। इसी कारण यह स्थान आंदोलनकारियों के बीच [[काला पानी]] के नाम से कुख्यात था। कैद के लिये [[पोर्ट ब्लेयर]] में एक अलग कारागार, [[सेल्यूलर जेल]] का निर्माण किया गया था जो ब्रिटिश इंडिया के लिये [[साइबेरिया]] की समान था।
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== आवागमन ==
;वायु मार्ग-
देश की सभी प्रमुख [[इंडियन एयरलाइन्स|एयरलाइन्स]] की नियमित उड़ानें [[पोर्ट ब्लेयर]] से [[चेन्नई]], [[कोलकाता]], [[दिल्ली]], [[बंगलौर|बंगलूरू]] , मुम्बई और [[भुवनेश्वर]] को जोडती हैं। दिन भर में कुल 18 उडानें हैं। उपराज्यपाल प्रो.जगदीश मुखी के प्रयासों से हवाई किराया भी काफी कम हो गया है। Veer Savarkar international airport port bleyer me hi hai
;जल मार्ग-
 
[[कोलकाता]], [[चेन्नई]] और [[विशाखापट्टनम]] से जलयान पोर्ट ब्लेयर जाते हैं। जाने में दो-तीन दिन का समय लगता है। पोर्ट ब्लेयर से जहाज छूटने का कोई निश्चित समय नहीं है।