"गुरु अर्जुन देव": अवतरणों में अंतर

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'''तेरा कीआ मीठा लागे॥ हरि नामु पदारथ नानक मांगे॥'''[[गुरबानी]]
 
== गुरू ग्रंथ साहिब जी में दर्ज बानियागुरबानी ==
गुरुग्रंथ साहिब में तीस रागों में गुरु जी की वाणीबानी दर्ज संकलित है। गणना की दृष्टि से श्री गुरुग्रंथ साहिब में सर्वाधिक वाणी पंचम गुरु की ही है।
गुरु ग्रंथ साहिब जी में निहित 31 रागों में से केवल जयजयवंती राग को छोड़कर बाकी सभी 30 रागों में गुरु अर्जुन देव जी की गुरबानी दर्ज है। आप जी के 2218 सलोक श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं। गुरु जी की मुख्य रचनाएँ गौड़ीगौउडी सुखमनी, बारामाह माझ, बावन अखरी, बिरहड़े, गुनवन्ती, अंजुली, पहिरे, दिन- रैन राग बद्ध बानिया सलोक वारा, गाथा, फुन्हे, चोअ बोले, संस्कृति स्लोक , मुंदावनी महला 5 आदि राग मुक्ता बनियाँ हैं।
 
== सुखमनी साहिब ==