"गुरु तेग़ बहादुर": अवतरणों में अंतर

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दिल्ली में यहां गुरू तेग बहादुर महाराज को इस्लाम ना कबूल करने की खातिर शहीद किया गया वहां आज [[गुरुद्वारागुरूद्वारा शीशगंज साहिब]] स्थित है। गुरू महाराज जी की शहादत के समय [[लक्खी शाह]] वनजारा अपने पुत्रो तथा पांच सौ बैल गाड़ियों के साथ चांदनी चौंक से गुजर रहा था वह किसी तरह से श्री गुरु तेग बहादुर जी के धड़ को अपने साथ अपने घर रकाब-गंज गांव में लेकर आने में कामयाब रहा उसने अपने मकान में ही गुरु जी की देह को श्रद्धा व सत्कारपूर्वक रखकर मकान को ही आग लगा दी जिस स्थान पर [[लक्खी शाह]] ने अपने मकान में गुरु साहिब का संस्कार किया था उसी स्थान पर दिल्ली में [[गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब]] सुशोभित है|
 
गुरू महाराज के सीस को शहादत के बाद [[भाई जैता जी]] मुगल फौजो की नजर से बचाते हुए दिल्ली से मीलो दूर [[आन्नद पूर साहिब]] में उनके बेटे [[गुरू गोबिंद सिंह]] जी तक पहुंचाने में कामयाब रहे तभी [[गुरू गोबिंद सिंह]] जी ने उन्हें सीने से लगाते हुए कहा '''रंगरेटा गुरू का बेटा'''