"मोती": अवतरणों में अंतर

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भारत समेत [https://www.gaharwarji.com/2019/03/jio-ki-internet-speed-ko-increase-kaise-kare/ अनेक] देशों में मोतियों की माँग बढ़ती जा रही है, लेकिन दोहन और प्रदूषण से इनका उत्पादन घटता जा रहा है। अपनी घरेलू माँग को पूरा करने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार से हर साल मोतियों का बड़ी मात्रा में आयात करता है। मेरे देश की धरती , सोना उगले, उगले हीरे-मोती। वास्तव में हमारे देश में विशाल समुन्द्रिय तटों के साथ ढेरों सदानीरा नदियां, झरने और तालाब मौजूद है। इनमें मछली पालन अलावा हमारे बेरोजगार युवा एवं किसान अब मोती पालन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
 
== मोती की खेती ==
[https://www.gaharwarji.com मोती की खेती] के लिए सबसे अनुकूल मौसम शरद ऋतु यानी अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है। कम से कम 10 गुणा 10 फीट या बड़े आकार के तालाब में मोतियों की खेती की जा सकती है। मोती संवर्धन के लिए 0.4 हेक्टेयर जैसे छोटे तालाब में अधिकतम 25000 सीप से मोती उत्पादन किया जा सकता है। खेती शुरू करने के लिए किसान को पहले तालाब, नदी आदि से सीपों को इकट्ठा करना होता है या फिर इन्हे खरीदा भी जा सकता है। इसके बाद प्रत्येक सीप में छोटी-सी शल्य क्रिया के उपरान्त इसके भीतर 4 से 6 मिली मीटर व्यास वाले साधारण या डिजायनदार बीड जैसे गणेश, बुद्ध, पुष्प आकृति आदि डाले जाते है। फिर सीप को बंद किया जाता है। इन सीपों को नायलॉन बैग में 10 दिनों तक एंटी-बायोटिक और प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है। रोजाना इनका निरीक्षण किया जाता है और मृत सीपों को हटा लिया जाता है। अब इन सीपों को तालाबों में डाल दिया जाता है। इसके लिए इन्हें नायलॉन बैगों में रखकर (दो सीप प्रति बैग) बाँस या पीवीसी की पाइप से लटका दिया जाता है और तालाब में एक मीटर की गहराई पर छोड़ दिया जाता है। प्रति हेक्टेरयर 20 हजार से 30 हजार सीप की दर से इनका पालन किया जा सकता है। अन्दर से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है जो अन्त में मोती का रूप लेता है। लगभग 8-10 माह बाद सीप को चीर कर मोती निकाल लिया जाता है।
 
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(5) यदि महिला वर्ग  इस व्यवसाय  में आते है तो ज्यादा  फायदे है क्योकि मोती के आभूषण  के साथ साथ मदर ऑफ़ पर्ल (Shell jewellery) का भी फायदा ले सकते है 
 
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== मोती की खेती '''कहां ले सकते हैं प्रशिक्षण ?''' ==
 
 
'''इण्डियन पर्ल फार्म एण्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट अर्निया मंसूरपुर, जंक्सन रोड़, खुर्जा जिला बुलन्दशहर उत्तर प्रदेश में मोती की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह संस्थान ग्रामीण नवयुवकों, किसानों एवं छात्र-छात्राओँ को मोती उत्पादन पर  दो दिवसीय तथा पाच दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण बहुत ही कम शुल्क पर प्रदान करता है।'''
 
'''तकनीकी सहायता के लिये प्रशिक्षण केन्द्र के प्रमुख सुरेन्द्र पाल सिंह के निम्न मोबाईल नंबर पर संपर्क कर सक्ते हैं :-'''
 
'''9540883888'''
 
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"https://hi.wikipedia.org/wiki/मोती" से प्राप्त