"विष्णु पुराण": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 26:
}}
{{वैष्णव धर्म}}
'''[https://www.dailygyanhindi.in/2019/05/vishnu-puran-adhyay-3.html?m=1 विष्णुपुराण]''' अट्ठारह [[पुराण|https://www.dailygyanhindi.in/2019/05/vishnu-puran-adhyay-3.html?m=1 पुराणों]] में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है। यह इसके प्रतिपाद्य भगवान [[विष्णु]] हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, [[सूर्य]] आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है।<ref>[http://www.gitapress.org/hindi गीताप्रेस डाट काम]</ref> भगवान [[विष्णु]] प्रधान होने के बाद भी यह पुराण [[विष्णु]] और [[शिव]] के अभिन्नता का प्रतिपादक है। '''[https://www.dailygyanhindi.in/2019/05/vishnu-puran-adhyay-3.html?m=1 विष्णु पुराण]''' में मुख्य रूप से [[श्रीकृष्ण]] चरित्र का वर्णन है, यद्यपि संक्षेप में [[राम]] कथा का उल्लेख भी प्राप्त होता है।
 
अष्टादश महापुराणों में श्रीविष्णुपुराण का स्थान बहुत ऊँचा है। इसमें अन्य विषयों के साथ भूगोल, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, राजवंश और श्रीकृष्ण-चरित्र आदि कई प्रंसगों का बड़ा ही अनूठा और विशद वर्णन किया गया है। श्री विष्णु पुराण में भी इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की सर्वव्यापकता, ध्रुव प्रह्लाद, वेनु, आदि राजाओं के वर्णन एवं उनकी जीवन गाथा, विकास की परम्परा, कृषि गोरक्षा आदि कार्यों का संचालन, भारत आदि नौ खण्ड मेदिनी, सप्त सागरों के वर्णन, अद्यः एवं अर्द्ध लोकों का वर्णन, चौदह विद्याओं, वैवस्वत मनु, इक्ष्वाकु, कश्यप, पुरुवंश, कुरुवंश, यदुवंश के वर्णन, कल्पान्त के महाप्रलय का वर्णन आदि विषयों का विस्तृत विवेचन किया गया है। भक्ति और ज्ञान की प्रशान्त धारा तो इसमें सर्वत्र ही प्रच्छन्न रूप से बह रही है।
पंक्ति 43:
 
==[https://digitalhexa.com/vs कथा एवं विस्तार]==
<br />[https://www.dailygyanhindi.in/2019/05/vishnu-puran-adhyay-3.html?m=1 विष्णु पुुुुराण - 3][[चित्र:Vishnu.jpg|thumb|right|500px|[https://www.dailygyanhindi.in/2019/05/vishnu-puran-adhyay-3.html?m=1 भगवान विष्णु]]]
;विस्तार
:इस पुराण में इस समय सात हजार [[श्लोक]] उपलब्ध हैं। वैसे कई ग्रन्थों में इसकी [[श्लोक]] संख्या तेईस हजार बताई जाती है।<ref>[http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A5%81_%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3 ब्रज डिस्कवरी]</ref> '''[https://www.dailygyanhindi.in/2019/05/vishnu-puran-adhyay-3.html?m=1 विष्णु पुराण]''' में पुराणों के पांचों लक्षणों अथवा वर्ण्य-विषयों-सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित का वर्णन है। सभी विषयों का सानुपातिक उल्लेख किया गया है। बीच-बीच में अध्यात्म-विवेचन, कलिकर्म और सदाचार आदि पर भी प्रकाश डाला गया है।
 
;'''कथा'''