"मन्दाकिनी": अवतरणों में अंतर

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→‎गैलेक्सी के प्रकार: पुर्व लेख में गैलेक्सियों के प्रकार के नामों एवं उनके बारे में उल्लेख नहीं था।
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== गैलेक्सी के प्रकार ==
अधिकाँश गैलेक्सियों का केंद्र तारों से भरा हुआ गोलाकार भाग होता है, जिसे [[नाभिक]] कहा जाता है और यह नाभिक अपने चारों ओर एक तलीय गोलाकार डिस्क से जुडा होता है। [[खगोलविज्ञान|खगोलविज्ञानी]] गैलेक्सियों को उनके आकार के आधार पर मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित करतेंकरते हैं- सर्पिल गैलेक्सी, दीर्घवृत्तीय गैलेक्सी तथा अनियमितत गैलक्सी। 'सर्पिल गैलेक्सी' डिस्क के आकार की होती है, जिसके बीच का भाग उभरा होता है। इस केन्द्रीय उभार से चमकीले सर्पिल निकले होते हैं। इस गैलेक्सी में स्थित तारे अपेक्षाकृत कम आयु के होते हैं। हमारी आकाशगंगा "मिल्की वे" इसी के अंतर्गत आती है। 'दीर्घवृत्तीय गैलेक्सी' चक्राकार या ग्लोबाकार होती है। इन गैलेक्सियों का केन्द्र सर्वाधिक चमकीला होता है और परीधि की तरफ चमक कम होता जाता है। इस गैलेक्सी में स्थित तारे अपेक्षाकृत अधिक आयु के होते हैं। 'अनियमित गैलेक्सी' का कोई निश्चित आकार नहीं होता है। इनका आकार परिवर्तित होता रहता है। कम गुरुत्व शक्ति के कारण इनमें ऐसा होता है। यह कोई नहीं जानता कि क्यों गैलेक्सियाँ एक निश्चित रूप धारण करती है। शायद यह गैलेक्सियों के घूर्णन के वेग, गुरुत्व शक्ति और उसमेउसमें स्थित तारों के बनने कि गति पर निर्भर करता है।
 
== हमारी गैलेक्सी ==