"गुणसूत्र": अवतरणों में अंतर

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== प्रकार ==
प्राणियों में दो विशेष प्रकार के केंद्रसूत्र पाए जाते हैं। एक तो कुछ डिप्टरा इंसेक्टा (Diptera, Insecta) में डिंभीय लारग्रंथि (larval salivary gland) के केंद्रकों में पाया जाता है। ये गुणसूत्र उसी जाति के साधारण गुणसूत्रों की अपेक्षा कई सौ गुने लंबे और चौड़े होते हैं। इस कारण इन्हें महागुणसूत्र (Giant chromosomes) कहते हैं। इनकी संरचना साधारण समसूत्रण और अर्धसूत्रण केंद्रसूत्रों से कुछ भिन्न दिखाई पड़ती है। यहाँ एक गुणसूत्र के स्थान पर एक अनुप्रस्थ पंक्ति ऐसी कणिकाओं की होती है जिनमें अभिरंजित होने की योग्यता अधिक होती हैं। गुणसूत्र के एक छोर से दूसरे छोर तक बहुत सी ऐसी अनुप्रस्थ पंक्तियों की सभी कणिकाएँ एक समान होती हैं और अन्य पंक्तियों की कणिकाओं में विशेषताएँ और विभिन्नताएँ होती है। इन गुणसूत्रों के अधिक लंबे होने के कारण यह समझा जाता है कि इनका पूर्ण रूप से विसर्पिलीकरण (despiralisation) होता है और कदाचित्‌ प्रोटीन का कुछ बढ़ाव भी होता हैं।है
 
अधिक चौड़े होने के कारण यह है कि एक गुणसूत्र अपने समान एक दूसरे केंद्रक-त्र का संश्लेषण करता है। साधारण अवस्था में समसूत्रण के समय ये दोनों सूत्र एक दूसरे से पृथक्‌ हो जाते हैं, परंतु महागुणसूत्र में यह नहीं होता। दोनों सूत्र एक दूसरे से जुड़े ही रह जाते हैं। महागुणसूत्र की संख्या साधारण गुणसूत्र की संख्या की आधी होती है, क्योंकि प्रत्येक सूत्र अपने समान दूसरे सूत्र से युग्मित हो जाता है। इस घटना को दैहिक युग्मन (Somatic pairing) कहते हैं।