"उल्लाला": अवतरणों में अंतर

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==ग्रन्थों में उल्लेख==
अधिकांशतः छप्पय में रोला के चार चरणों के पश्चात् उल्लाला के दो दल रचे जाते हैं। 'प्राकृत पैन्गलम' तथा अन्य ग्रंथों में उल्लाला का उल्लेख छप्पय के अंतर्गत ही है। जगन्नाथ प्रसाद भानु रचित 'छन्द प्रभाकर' तथा ओमप्रकाश 'ओंकार' द्वारा रचित 'छन्द क्षीरधि' के अनुसार 'उल्लाल' तथा 'उल्लाला' दो अलग-अलग छन्द हैं। [[नारायण दास]] द्वारा लिखित 'हिन्दी छन्दोलक्षण' में इन्हें उल्लाला के दो रूप कहा गया है।
 
==चरण तथा मात्राएँ==