"दोहा": अवतरणों में अंतर
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मम तावन्मतमेतदिह - किमपि यदस्ति तदस्तु
रमणीभ्यो रमणीयतरमन्यत् किमपि न अस्तु
==दोही==
दोही दोहे का ही एक प्रकार है। इसके विषम चरणों में १५-१५ एवं सम चरणों में ११-११ मात्राऐं होती हैं।उदाहरण-
प्रिय पतिया लिख-लिख थक चुकी,मिला न उत्तर कोय।
सखि! सोचो अब में क्या करूँ,सूझे राह न कोय।।
== बाहरी कड़ियाँ ==
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