"सवैया": अवतरणों में अंतर

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:हाथ की फीकी पड़ी मेंहदी, अब पाँव महावर छूट गया री।
:काहे वियोग मिला अइसा, मछरी जइसे तड़पे है जिया री
:आए पिया नहि बीते कई दिन, जोहत बाट खड़ी दुखियारीदुखियारी।। -प्रताप नारायण सिंह
-प्रताप नारायण सिंह
 
 
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