"ग्रेटर नोएडा": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: सन्दर्भ भाषा पाठ सुधारा
→‎इतिहास: संदर्भो तथ्य सहीत जानकारी जोडी
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
पंक्ति 72:
 
== इतिहास ==
यहां की अधिकतर गावों ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में काफी योगदान दिया था। दादरी के राजा राव उमरावसिंह गुर्जर समेत आसपास के क्षेत्र के 84 क्रांतिकारियों को [[बुलंदशहर]] के काला आम पर फांसी लगाई थी। जिससे चलते आज भी बुलंदशहर का '''काला आम''' चर्चित है। क्रान्तिवीर राव उमराव सिहँ गुर्जर दादरी, '''भटनेर रियासत'''(वर्तमान मे ग्रेटर नौएडा) के राजा थे। इनका जन्म सन् 1832 मे दादरी (उ.प्र) के निकट ग्राम कटेहडा मे राव किशनसिंह गुर्जर के पुत्र के रूप मे हुआ था।सन सत्तावन १८५७ की जनक्रान्ति में राव रोशन सिहँ ,उनके बेटे राव बिशन सिहँ व उनके भतीजे राव उमराव सिहँ का महत्वपूर्ण योगदान था।<ref>शिव कुमार गोयल, ऐसे शुरू हुई मेरठ में क्रान्ति (लेख)दैनिक प्रभात, मेरठ, दिनांक 10 मई 2007।</ref> 10 मई को मेरठ से 1857 की जन-क्रान्ति की शुरूआत कोतवाल धनसिंह गुर्जर द्वारा हो चुकी थी
[[चित्र:Bismil Park2811.JPEG|thumb|left|200px|राम प्रसाद बिस्मिल उद्यान ग्रेटर नोएडा ]]
तत्कालीन राष्टृीय भावना से ओतप्रोत उमरावसिंह गुर्जर ने आसपास के ग्रामीणो को प्रेरित कर 12 मई 1857 को सिकन्द्राबाद तहसील पर धावा बोल दिया। वहाँ के हथ्यार और खजानो को अपने अधिकार मे कर लिया। <ref> एस0 ए0 ए0 रिजवी, फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश, खण्ड टए लखनऊ, 1960, पृष्ठ सं0 45 पर मुंशी लक्ष्मण स्वरूप का बयान।</ref> सूचना मिलते ही बुलन्दशहर से सिटी मजिस्ट्रेट सैनिक बल सिकनद्राबाद आ धमका। 7 दिन तक क्रान्तिकारी सैना अंग्रेज सैना से ट्क्कर लेती रही ।अंत मे 19 मई को सश्स्त्र सैना के सामने क्रान्तिकारी वीरो को हथियार डालने पडे 46 लोगो को बंदी बनाया गया। उमरावसिंह बच निकले । इस क्रान्तिकारी सैना मे गुर्जर समुदाय की मुख्य भूमिका होने के कारण उन्हे ब्रिटिश सत्ता का कोप भोजन होना पडा।उमरावसिंह अपने दल के साथ 21 मई को बुलन्दशहर पहुचे एवं जिला कारागार पर घावा बोलकर अपने सभी राजबंदियो को छुडा लिया । बुलन्दशहर से अंग्रेजी शासन समाप्त होने के बिंदु पर था लेकिन बाहर से सैना की मदद आ जाने से यह संभव नही हो सका
1980 के दशक में भारत सरकार ने यह अनुभव किया कि जिस प्रकार राजधानी दिल्ली की जनसंख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए निकट भविष्य में समस्या खड़ी हो सकती है। अत: दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश व [[हरियाणा]] प्रान्तों के कुछ क्षेत्रों में आवासीय एवं औद्योगिक विकास हेतु योजनाओं का विचार किया गया और [[गुड़गाँव]] व नोएडा और ग्रेटर नौएडा जैसे नये नगर बसाये गये।
हिंडन नदी के तट पर 30 व 31 मई को क्रान्तिकारी सैना और अंग्रेजी सैना के बीच एक ऐतिहासिक भीषण युद्ध हुआ।<ref> ई0 बी0 जोशी, मेरठ डिस्ट्रिक्ट गजेटेयर, गवर्नमेन्ट प्रेस, 1963, पृष्ठ संख्या 53</ref> <ref>ई0 बी0 जोशी</ref> जिसकी कमान क्रान्तिनायक धनसिहँ गुर्जर, राव उमराव सिहँ गुर्जर, राव रोशन सिहँ गुर्जर इस युद्ध में अंग्रेजो को मुहँ की खानी पडी थी। 26 सितम्बर, 1857 को कासना-सुरजपुर के बीच उमरावसिंह की अंग्रेजी सैना से भारी टक्कर हुई ।<ref>उमेश त्यागी, 1857 की महाक्रान्ति में गाजियाबाद जनपद (लेख), दी जर्नल आफ मेरठ यूर्निवर्सिटी हिस्ट्री एलमनी, खण्ड 2006, पृष्ठ संख्या 311</ref> लेकिन दिल्ली के पतन के कारण सैना का उत्साह भंग हो चुका था । भारी जन हानी के बाद राव-सैना ने पराजय श्वीकार करली ।उमरावसिंह को गिरफ्तार कर लिया गया ।इस जनक्रान्ति के विफल हो जाने पर बुलंदशहर के काले आम पर बहुत से गुर्जर क्रान्तिवीरो के साथ राजा राव उमराव सिहँ भाटी, राव रोशनसिहँ गुर्जर ,राव बिशनसिहँ गुर्जर को बुलन्दशहर मे कालेआम के चौहराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया <ref>विघ्नेष त्यागी, मेरठ के ऐतिहासिक क्रान्ति स्थल और घटनाएं (लेख), दैनिक जागरण, मेरठ, दिनांक 5 मई 2007</ref>
इस्से पहले नौएडा और ग्रेटर नौएडा को [[भटनेर]] नाम से जाना जाता था।
 
वहीं अंग्रेजी हकूमत ने क्रांतिकारियों के परिवार के संपत्ति को छीन लिया गया था। उनके मकानों को तोड़ दिया गया था। शहीदों की याद में आज भी दादरी तहसील पसिसर में स्थित आज भी शहीद स्तंभ मौजूद है। जिस पर 84 क्रांतिकारियों के नाम अंकित है। वहां दादरी के मैन तिराहे पर राव उमरावसिंह गुर्जर की प्रतिमा स्थित है। हर साल उनकी याद में 15 अगस्त और 26 जनवरी को विभिन्न समाजसेवी संगठनों और प्रमुख लोगों के द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किए जाते है। दादरी में स्वतन्त्रता सेनानी राव उमराव सिंह की मूर्ति आज भी देखी जा सकती है।
नोएडा में हुए विकास का जायजा लिया गया तो सरकार को लगा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को और अधिक विस्तृत किया जा सकता है इससे भारत की अर्थव्यवस्था और भी सुदृढ़ होगी। अतएव उन्नीस सौ नब्बे के दशक में ग्रेटर नोएडा की नींव रखी गयी। पहले ग्रेटर नोएडा का मुख्य कार्यालय नोएडा के सेक्टर 20 में अस्थायी रूप से खोला गया और वरिष्ठ आई॰ए॰एस॰ अधिकारी [[योगेन्द्र नारायण]] को इसका चेयरमैन तथा गणेश शंकर त्रिपाठी को उनका सचिव नियुक्त किया गया। बाद में जब शुरुआती तीन सेक्टर - अल्फ़ा, बीटा और गामा कुछ-कुछ बसने लगे तो इसका प्रशासनिक कार्यालय भी ग्रेटर नोएडा में रामपुर जागीर गाँव के सामने सेक्टर गामा-II में स्थापित हो गया।
इससे भी पूर्व 11 सितम्बर 1803 को ब्रिटिश आर्मी व मराठों की सेना के बीच हुए निर्णायक युद्ध के स्मारक के रूप में [[नोएडा]] के गोल्फ कोर्स परिसर के अन्दर ब्रिटिश जनरल गेरार्ड लेक की स्मृति को दर्शाता अंग्रेज वास्तुविद एफ़॰ लिस्मन द्वारा बनाया हुआ "जीतगढ़ स्तम्भ" आज भी दूर से ही दिखायी देता है। <ref>http://myupwebsite.com/gautam-buddha-nagar.html</ref>
=== क्रान्तिकारियों की शरणगाह ===
 
[[गौतम बुद्ध नगर जिला]] गजेटियर के अनुसार यहाँ [[यमुना]] व हिण्डन नदियों की दोआब (खादर) जमीन पर बसे गाँवों नलगढ़ा, तुगलपुर व रामपुर जागीर में [[विजय सिंह पथिक]], [[कोतवाल]] [[धन सिंह गुर्जर]], पं॰ रामप्रसाद 'बिस्मिल', [[उमरावसिंह]] [[गुर्जर]] [[चंद्रशेखर आजाद]] व [[भगत सिंह]] आदि छिपकर अपनी योजनायें बनाया करते थे। एक्सप्रेस वे के किनारे बसे नलगढ़ा गाँव में तो वह पत्थर आज भी सुरक्षित रखा हुआ है जिस पर [[भगत सिंह]] ने दिल्ली असेम्बली बम काण्ड से पूर्व कई बार बम परीक्षण करके देखा था। परीचौक पर [[गुर्जर शोध संस्थान]] व [[विजय सिंह पथिक]] ऑडिटोरियम स्थित है। इसी प्रकार रामपुर जागीर [[गाँव]], जहाँ [[काकोरी काण्ड]] के मास्टरमाइण्ड [[राम प्रसाद 'बिस्मिल']] सन् 1919 में मैनपुरी षड्यन्त्र के पश्चात् भूमिगत रहे थे, उसकी स्मृति जनमानस में ताज़ा बनी रहे इसके लिये सेक्टर बीटा वन के ई ब्लॉक में "अमर शहीद पं॰ रामप्रसाद बिस्मिल उद्यान"<ref name="जागरण">{{cite news |title=वतन की ख्वाहिशों पे जिंदगानी कुर्बान |first= |last= |url= |newspaper= [[दैनिक जागरण]], [[नई दिल्ली]]|page=24 |date=12 अगस्त 2012 |accessdate=2 फ़रवरी 2014}}</ref> स्थापित किया गया है।
=== 1398 ई. मे तैमूर का भटनेर क्षेत्र पर आक्रमण ===
1398 में जब तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया तो उसके साथ करीब ढाई लाख घुड़सवारो की सेना थी जिसके बल पर वो क्रूर हत्यारा निर्दोष लोगो का खून बहाते हुए भटनेर (गौतम बुद्ध नगर) में लाखो निर्दोषो को मौत के घाट उतारकर उसने एक लाख लोगो को बंदी बनाया और उनका कत्लेआम किया। दिल्ली के पास ही स्थित लोनी उसका अगला निशाना थी। भटनेर की तरह लोनी और उसके आस पास का क्षेत्र गुर्जर बहुल क्षेत्र था यहाँ गुर्जर राज कर रहे थे और विदेशी आक्रान्ताओं को चोट पहुचाने में सबसे ज्यादा जाने जाते थे इसलिए तैमुर ने अगला निशाना लोनी क्षेत्र को बनाया। बहादुर गुर्जरों ने मुकाबला किया लेकिन हजारो वीरो को वीरगति का सामना करना पड़ा और तैमूर ने बंदी बनाकर वहां के एक लाख लोगो को मौत के घाट उतार दिया।
उसके बाद वो हत्यारा तैमूर लंग बागपत ,मेरठ और सहारनपुर को लूटते हुए हरिद्वार को लूट कर और कत्लेआम आम कर बढ़ना चाहता था देश और धर्म पर आंच आते देख क्षेत्र की सर्वखाप पंचायत व पंचायत के निर्णय को सर्वोपरि मानते हुए सभी बिरादरियो ने मिलकर महाबली जोगराज सिंह गुर्जर को सेनापति घोषित कर दिया और एक एतिहासिक भयंकर युद्ध कर तैमूर लंग को हराया <ref>पत्रिका - https://patrika.com/amp-news/hot-on-web/jograj-singh-gurjar-and-timur-lang-battle-1002238</ref> नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के किनारे स्थित नलगढ़ा गाँव में [[ विजय सिंह पथिक]] और [[भगत सिंह]] ने भूमिगत रहते हुए कई बम-परीक्षण किये थे। वहाँ आज भी एक बहुत बड़ा [[पत्थर]] सुरक्षित रखा हुआ है।
 
== सांख्यकी व रहन-सहन ==