"भारतीय जनसंघ": अवतरणों में अंतर

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मधोक जनसंघ के जनता पार्टी में विलय के खिलाफ थे। 1979 में उन्होंने 'भारतीय जनसंघ' को जनता पार्टी से अलग कर लिया। उन्होंने अपनी पार्टी को बढ़ाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। 96 वर्ष की आयु में 2 मई 2016 को उनकी मृत्यु हो गई।
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'''अखिल भारतीय जनसंघ''' [[भारत]] का एक पुराना राजनैतिक दल है जिससे १९८० में [[भारतीय जनता पार्टी]] बनी। भारतीय जनता पार्टी ने ये प्रचार किया था कि '''अखिल भारतीय जनसंघ''' समाप्त हो गया है। लेकिन ऐसा नहीं था अखिल भारतीय जनसंघ को प्रोफेसर बलराज मधोक जी ने अपना नेतृत्व देकर आज तक संगठन को संंचालित रखा । '''अखिल भारतीय जनसंघ''' की स््थापना श्री [[श्यामा प्रसाद मुखर्जी]] द्वारा [[21 अक्टूबर]] [[1951]] को [[दिल्ली]] में की गयी है। इस पार्टी का पहले का चुनाव चिह्न [[दीपक]] था। लेकिन वर्तमान 2019 के संसदीय लोकसभा चुुनाव में ट्रैक्टर चलाता हुआ किसान आॅवटित हुुआहै। इसने [[भारतीय आम चुनाव, १९५१-१९५२|1952 के संसदीय चुनाव]] में २ सीटें प्राप्त की थी जिसमे डाक्टर मुखर्जी स्वयं भी शामिल थे।
 
प्रधानमंत्री [[इंदिरा गांधी]] द्वारा लागू [[आपातकाल]] (1975-1976) के बाद जनसंघ सहित [[भारत]] के प्रमुख राजनैतिक दलों का विलय कर के एक नए दल [[जनता पार्टी]] का गठन किया गया।

प्रोफेसर बलराज मधोक जी अखिल भारतीय जनसंघ के [[जनता पार्टी]] में विलय के खिलाफ थे। 1979 में उन्होंने 'भारतीय जनसंघ' को जनता पार्टी से अलग कर लिया। उन्होंने अपनी पार्टी को बढ़ाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। 96 वर्ष की आयु में 2 मई 2016 को उनकी मृत्यु हो गई।

आपातकाल से पहले बिहार विधानसभा के भारतीय जनसंघ के विधायक दल के नेता [[लालमुनि चौबे]] ने [[जयप्रकाश नारायण]] के आंदोलन में बिहार विधानसभा से अपना त्यागपत्र दे दिया। जनता पार्टी 1980 में टूट गयी और जनसंघ की विचारधारा के नेताओं नें [[भारतीय जनता पार्टी]] का गठन किया। भारतीय जनता पार्टी [[1998]] से [[2004]] तक [[राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन]] (NDA) सरकार की सबसे बड़ी पार्टी रही थी। 2014 के आम चुनाव में इसने अकेले अपने दम पर सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की।
 
इतिहास इस बात का साक्षी हैं कि 50 से 100 वर्षों के अंतराल में संसार के विभिन्न थानों और देशों में उथल-पुथल होती हैं। जिसके फलस्वरूप उन भू-भागों और देशों में महत्वपूर्ण बदल आते हैं, संसार के मानचित्र से कई राज्य लुप्त हो जाते हैं या खंडित हो जाते हैं और कई नये राज्य अस्तित्व में आ जाते हैं। भारत अथवा हिन्दुस्तान में 1947 में एक ऐसा उथल-पुथल हुआ था। गत कुछ समय से भारत के अन्दर और इस के इर्द-गिर्द के देशों में चलने वाले घटना चक्र से लगता हैं कि भारत उसी प्रकार के एक और उथल-पुथल की ओर बढ़ रहा हैं। इस शताब्दी को यह अंतिम वर्ष इस दृष्टि से विशेष महत्व रखता हैं। इसलिए 1999 में होने वाले लोकसभा चुनाव के निर्णायक माना जा रहा हैं। यदि इस चुनाव में राष्ट्रवादी प्रत्याषी अधिक संख्या में जीते और दिल्ली में योग्य और चरित्रवान प्रधानमंत्री वाली राष्ट्रवादी सरकार बन पाई तो आने वाली उथल-पुथल इस देश को पुनः अखंड करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता हैं और इस के भविष्य को उज्जवल बना सकता हैं।