"इस्लामी वास्तुकला": अवतरणों में अंतर

छो 2409:4053:70C:2B32:A435:53B1:E1F1:37BD द्वारा किये गये 1 सम्पादन पूर्ववत किये। (बर्बरता)। (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
छो कड़ी सुधार, replaced: इब्राहिम लोधी → इब्राहिम लोदी AWB के साथ
पंक्ति 1:
[[चित्र:Taj_Mahal_in_March_2004.jpg|thumb|[[ताज महल]] इस्लामिक वास्तुकला की एक अनुपम कृति ]]
'''इस्लामी वास्तुकला''' एक प्रकार की वास्तु कला है जो की इस्लाम धर्म से प्रभावित है और इस्लामिक शासको एवं सरकारों द्वारा दुनिया भर में प्रचारित की गयी।
== मुख्य तत्व ==
इस्लामी भवन निर्माण को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है; धार्मिक एवं गैर धार्मिक इमारतें।<ref> [http://www.boloji.com/architecture/00015.htm इस्लामी प्रभाव] </ref>
=== धार्मिक इमारतें ===
कुरान में नमाज को विशेष महत्त्व दिया गया है और कुरान यह भी निर्देश देती है की नमाज मक्का की दिशा में ही पड़ी जा सकती है। इसलिए हर इस्लामी धार्मिक इमारत उस धुरी (किबला) पर ही बनायी गयी। मज्जिदों में मक्का की दिशा में नमाज पड़ने के लिए एक बड़ी आयताकार जगा होती है जिसे मिहराब कहा जाता है। मिहराब के कोने में मीनारे होती है जो स्तंभ नुमा होती है।
पंक्ति 12:
{{main|मुगल वास्तुकला}}
{{seealso|भारत की प्रसिद्ध मस्जिदें}}
मुगल वंश आरंभ हुआ बादशाह [[बाबर]] से 1526 में। बाबर ने पानीपत में एक मस्जिद बनवाई, [[इब्राहिम लोधीलोदी]] पर अपनी विजय के स्मारक रूप में। एक दूसरी मस्जिद, जिसे [[बाबरी मस्जिद]] कहते हैं, [[अयोध्या]] में बनवाई। एक तीसरी मस्जिद उसने सम्भल, मुरादाबाद जिले में बनवाई।
[[चित्र:NorthIndiaCircuit 100.jpg|left|200px|thumb|[[बुलंद दरवाजा]], [[फतेहपुर सिकरी]], [[आगरा]]।]]
बादशाह [[अकबर]] (1556-1605) ने बहुत निर्माण करवाया, एवं उसके काल में इस शैली ने खूब विकास किया। [[गुजरात]] एवं अन्य शैलियों में, मिस्लिम एवं हिंदु लक्षण, उसके निर्माण में दिखाई देते हैं। अकबर ने [[फतेहपुर सीकरी]] का शाही नगर 1500 में बसाया, जो कि [[आगरा]] से 26 मील (42 कि मी) पश्चिम में है। फतेहपुर सीकरी का अत्यधिक निर्माण, उसकी कार्य शैली को सर्वाधिक दर्शाता है। वहाँ की वृहत मस्जिद, उसकी कार्य शैली को सर्वोत्तम दर्शाती है, जिसका कि कोई दूसरा जोड़ मिलना मुश्किल है। यहाँ का दक्षिण द्वार, अति प्रसिद्ध है, एवं इसका कोई जोड़ पूरे भारत में नहीं है। यह विश्व का सर्वाधिक ऊँचा द्वार है, जिसे [[बुलन्द दरवाज़ा]] कहते हैं। मुगलों ने प्रभाचशाली मकबरे बनवाए, जिनमें अकबर के पिता [[हुमायूँ का मकबरा]], दिल्ली में, एवं [[अकबर का मकबरा]], सिकंदरा, आगरा के पास स्थित है। यह दोनों ही अपने आप में बेजोड़ हैं।