"दोहरीघाट": अवतरणों में अंतर

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==== इतिहास : ====
"जब निको दिन आई है बनत न लगिहे देर" - हर बुरे दिन के बाद अच्छा दिन आता है। मुक्तिधाम इसका परम उदाहरण है। भौगोलिक दृष्टि से यह घाघरा वर्तमान सरयू नदी की गोद मे बसी है। यह स्थान श्रद्धालुओं का आकर्षण केन्द्र बना हुआ है तथा समय समय पर मेले लगते हैं। सदियों से गौरवमयी इस स्थान पर दो-हरि यानि श्री राम एंव परशुराम की मिलन स्थली जिसको आज दोहरीघाट के नाम से जानते हैं। यह बाबा भोलेनाथ की परम पवित्र काशी नगरी की परिक्षेय मे आता है इसलिए इसको काशी क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। सरयू के दक्षिणी पूर्वी द्वार पर बसा यह नगर इसलिए भी धार्मिक दृष्टि से महत्वपुर्ण माना जाता है क्योंकि यहां दो किलोमीटर तक सरयू नदी सी उत्तर दिशा को बहती है। यहाँ बङे बङे महर्षि तपस्वी व संत वर्षों तक साधना किए हैं, ऐसे महात्माओं मे स्तसंत सिरोमणि, नागा बाबा, खाकी बाबा, मेला राम बाबा आदि। भगवान राम द्वारा स्थापित "गौरी शंकर" के भब्य मंदिर के नाते इस स्थान की चर्चा दूर-दूर तकयतक है।
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