"इन्दिरा गांधी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Gandhi and Indira 1924.jpg|thumb|right|युवा इन्दिरा नेहरू और [[महात्मा गांधी]] एक अनशन के दौरान]]
'''इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी''' (जन्म उपनाम: नेहरू) ([[19 नवंबर]] [[1917]]-[[31 अक्टूबर]] [[1984]]) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की [[प्रधानमन्त्री]] रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे [[भारत]] की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।
 
== प्रारंभिक जीवन और करीअर ==
[[चित्र:Nehru family.jpg|thumb|left|300px|'''नेहरू परिवार''' [[मोतीलाल नेहरू]] बीच में बैठे हैं और खड़े हैं (बायें से दाएँ) [[जवाहरलाल नेहरू]],[[विजयालक्ष्मी पंडित]], [[कृष्णा हठीसिंह|कृष्णा हथिसिंघ]], इंदिरा और रंजित पंडित, बैठे हैं : स्वरुप रानी, मोतीलाल नेहरू और [[कमला नेहरू]] (लगभग सन् 1927)]]
[[चित्र:The marriage ceremony of Feroze Gandhi and Indira Gandhi, March 26, 1942 at Anand Bhawan, Allahabad.jpg|leftright|300px|thumb|१९४२ में '''इन्दिरा''' और '''फिरोज''' का विवाह ; यह विवाह न तो परम्परागत था न ही कानूनी विवाह था।]]
इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली [[नेहरू-गांधी परिवार|नेहरू परिवार]] में हुआ था।<ref>{{cite web|url=https://blogs.timesofindia.indiatimes.com/bloody-mary/19th-november-2017-100-years-of-indira-gandhi-she-was-the-mother-of-every-indian-supremo/|title=19th November 2017: 100 years of Indira Gandhi. She was the mother of every Indian supremo}}</ref> इनके पिता [[जवाहरलाल नेहरू]] और इनकी माता [[कमला नेहरू]] थीं।
 
इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम [[फिरोज गांधी|फिरोज़ गाँधी]] से [[विवाह]] के पश्चात मिला था।<ref>[http://hindi.webdunia.com/national-hindi-news/indira-gandhi-former-india-pm-firoge-gandhi-115062500010_1.html इंदिरा इस तरह बनीं गांधी, पढ़ें पूरी कहानी...] (वेबदुनिया)</ref> इनका [[मोहनदास करमचंद गाँधी]] से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था। इनके पितामह [[मोतीलाल नेहरू]] एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता [[जवाहरलाल नेहरू]] भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।
[[चित्र:The marriage ceremony of Feroze Gandhi and Indira Gandhi, March 26, 1942 at Anand Bhawan, Allahabad.jpg|left|300px|thumb|१९४२ में '''इन्दिरा''' और '''फिरोज''' का विवाह ; यह विवाह न तो परम्परागत था न ही कानूनी विवाह था।]]
 
1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने [[शान्तिनिकेतन]] में [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] द्वारा निर्मित [[विश्व-भारती विश्वविद्यालय]] में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था। इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गईं और [[ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय]] की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं और [[ब्रिस्टल]] के [[बैडमिंटन स्कूल]] में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने [[सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड]] में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह [[इलाहाबाद]] से जानती थीं और जो [[लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स]] में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म [[ब्रह्म]]-[[वेद|वैदिक]] समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ।
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== प्रारम्भिक जीवन ==
[[चित्र:Nehru family.jpg|thumb|left|300px|'''नेहरू परिवार''' [[मोतीलाल नेहरू]] बीच में बैठे हैं और खड़े हैं (बायें से दाएँ) [[जवाहरलाल नेहरू]],[[विजयालक्ष्मी पंडित]], [[कृष्णा हठीसिंह|कृष्णा हथिसिंघ]], इंदिरा और रंजित पंडित, बैठे हैं : स्वरुप रानी, मोतीलाल नेहरू और[[कमला नेहरू]](लगभग सन् 1927)]]
 
इन्दिरा का जन्म [[19 नवंबर]], [[1917|सन् 1917]] में पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी [[कमला नेहरू]] के यहाँ हुआ। वे उनकी एकमात्र संतान थीं। नेहरू परिवार अपने पुरखों का खोंज [[जम्मू और कश्मीर]] तथा [[दिल्ली]] के[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] में कर सकते हैं। इंदिरा के पितामह [[मोतीलाल नेहरू]] [[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद]] से एक धनी बैरिस्टर थे। जवाहरलाल नेहरू पूर्व समय में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के बहुत प्रमुख सदस्यों में से थे। उनके पिता मोतीलाल नेहरू [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के एक लोकप्रिय नेता रहे। इंदिरा के जन्म के समय [[महात्मा गांधी]] के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू का प्रवेश स्वतन्त्रता आन्दोलन में हुआ।
 
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=== परमाणु कार्यक्रम ===
लेकिन, [[जनवादी गणराज्य चीन|जनवादी चीन गणराज्य से]] परमाणु खतरे तथा दो प्रमुख महाशक्तियों की दखलंदाजी में रूचि भारत की स्थिरता और सुरक्षा के लिए अनुकूल नहीं महसूस किए जाने के मद्दे नजर, गांधी का अब एक राष्ट्रीय परमाणु कार्यक्रम था। उन्होंने नये पाकिस्तानी राष्ट्रपति [[ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो]] को एक सप्ताह तक चलनेवाली [[शिमला]] शिखर वार्ता में आमंत्रित किया था। वार्ता के विफलता के करीब पहुँच दोनों राज्य प्रमुख ने अंततः [[शिमला समझौता|शिमला समझौते]] पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत [[कश्मीर]] विवाद को वार्ता और शांतिपूर्ण ढंग से मिटाने के लिए दोनों देश अनुबंधित हुए।
 
लेकिन,[[जनवादी गणराज्य चीन|जनवादी चीन गणराज्य से]] परमाणु खतरे तथा दो प्रमुख महाशक्तियों की दखलंदाजी में रूचि भारत की स्थिरता और सुरक्षा के लिए अनुकूल नहीं महसूस किए जाने के मद्दे नजर, गांधी का अब एक राष्ट्रीय परमाणु कार्यक्रम था। उन्होंने नये पाकिस्तानी राष्ट्रपति [[ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो]] को एक सप्ताह तक चलनेवाली [[शिमला]] शिखर वार्ता में आमंत्रित किया था। वार्ता के विफलता के करीब पहुँच दोनों राज्य प्रमुख ने अंततः [[शिमला समझौता|शिमला समझौते]] पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत [[कश्मीर]] विवाद को वार्ता और शांतिपूर्ण ढंग से मिटाने के लिए दोनों देश अनुबंधित हुए।
 
कुछ आलोचकों द्वारा नियंत्रण रेखा को एक स्थायी सीमा नहीं बानाने पर इंदिरा गांधी की आलोचना की गई जबकि कुछ अन्य आलोचकों का विश्वास था की पाकिस्तान के 93,000 [[युद्धबंदी]] भारत के कब्जे में होते हुए [[पाकिस्तान शासित कश्मीर|पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर]] को [[पाकिस्तान]] के कब्जे से निकाल लेना चाहिए था। लेकिन यह समझौता [[संयुक्त राष्ट्र]] तथा किसी तीसरे पक्ष के तत्काल हस्तक्षेप को निरस्त किया एवं निकट भविष्य में [[पाकिस्तान]] द्वारा किसी बड़े हमले शुरू किए जाने की सम्भावना को बहुत हद तक घटाया। भुट्टो से एक संवेदनशील मुद्दे पर संपूर्ण आत्मसमर्पण की मांग नहीं कर उन्होंने पाकिस्तान को स्थिर और सामान्य होने का मौका दिया।
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=== हरित क्रांति ===
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{{main |Green Revolution in India}}
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[[चित्र:Indira and Nixon.JPG|thumb|right|220px|1971 में [[रिचर्ड निक्सन]] और इंदिरा गाँधी। उनके बिच गहरा ब्याक्तिगत विद्वेष था जिसका रंग द्विपक्षीय संबंधों में झलका।]]
1960 के दशक में विशेषीकृत अभिनव कृषि कार्यक्रम और सरकार प्रदत्त अतिरिक्त समर्थन लागु होने पर अंततः भारत में हमेशा से चले आ रहे खाद्द्यान्न की कमी को, मूलतः गेहूं, चावल, कपास और दूध के सन्दर्भ में, अतिरिक्त उत्पादन में बदल दिया। बजाय संयुक्त राज्य से खाद्य सहायता पर निर्भर रहने के - जहाँ के एक राष्ट्रपति जिन्हें श्रीमती गांधी काफी नापसंद करती थीं (यह भावना आपसी था: निक्सन को इंदिरा "चुड़ैल बुढ़िया" लगती थीं<ref>[http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/4633263.stm बीबीसी समाचार]</ref>), देश एक खाद्य निर्यातक बन गया। उस उपलब्धि को अपने वाणिज्यिक फसल उत्पादन के विविधीकरण के साथ ''[[भारत में हरित क्रांति|हरित क्रांति]]'' के नाम से जाना जाता है। इसी समय दुग्ध उत्पादन में वृद्धि से आयी श्वेत क्रांति से खासकर बढ़ते हुए बच्चों के बीच कुपोषण से निबटने में मदद मिली। 'खाद्य सुरक्षा', जैसे कि यह कार्यक्रम जाना जाता है, 1975 के वर्षों तक श्रीमती गांधी के लिए समर्थन की एक और स्रोत रही।<ref>[http://indiaonestop.com/Greenrevolution.htm]</ref>
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"ये कार्यक्रम केंद्रीय राजनैतिक नेतृत्व को समूचे देशभर में नये एवं विशाल संसाधनों के वितरित करने के मालिकाना भी प्रस्तुत किए..."<ref>रथ, नीलकंठ,''"गरीबी हटाओ":क्या आइआरडीपी यह कर सकती है ?"''(ईडब्लूपी, xx, नंo.6) फ़रवरी,1981.</ref>'अंततः,[[गरीबी हटाओ]] गरीबों के बहुत कम काम आये:आर्थिक विकास के लिए आवंटित सभी निधियों के मात्र 4% तीन प्रमुख गरीबी हटाओ कार्यक्रमों के हिस्से गये और लगभग कोईभी "गरीब से गरीब" तबके तक नहीं पहुँची। इस तरह यद्यपि यह कार्यक्रम गरीबी घटाने में असफल रही, इसने गांधी को चुनाव जितानेका लक्ष्य हासिल कर लिया।
 
=== एक्छ्त्रवादएकछ्त्रवाद की ओर झुकाव ===
गाँधी पर पहले से ही [[सत्तावादी]] आचरण के आरोप लग चुके थे। उनकी मजबूत संसदीय बहुमत का व्यवहार कर, उनकी सत्तारूढ़ [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] ने संविधान में संशोधन कर केन्द्र और राज्यों के बीच के सत्ता संतुलन को बदल दिया था। उन्होंने दो बार विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों को "कानून विहीन तथा अराजक" घोषित कर संविधान के [[संविधान धारा 356|धारा 356]] के अंतर्गत [[राष्ट्रपति शासन]] लागु कर इनके नियंत्रण पर कब्जा किया था। इसके अलावा,[[संजय गाँधी]], जो निर्वाचित अधिकारियों की जगह पर गांधी के करीबी राजनैतिक सलाहकार बने थे, के बढ़ते प्रभाव पर, [[पि.एन.हक्सर]], उनकी क्षमता की ऊंचाई पर उठते समय, गाँधी के पूर्व सलाहाकार थे, ने अप्रसन्नता प्रकट की। उनके सत्तावाद शक्ति के उपयोग की ओर नये झुकाव को देखते हुए, [[जयप्रकाश नारायण]], [[सतेन्द्र नारायण सिन्हा]] और [[आचार्य जीवतराम कृपालानी]] जैसे नामी-गिरामी व्यक्तिओं और पूर्व-स्वतंत्रता सेनानियों ने उनके तथा उनके सरकार के विरुद्ध सक्रिय प्रचार करते हुए भारतभर का दौरा किया।
 
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=== आपातकालीन स्थिति (1975-1977) ===
'''{{मुख्य|आपातकाल (भारत)}}'''
गाँधी ने व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने के पदक्षेप स्वरुप, अशांति मचानेवाले ज्यादातर विरोधियों के गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। तदोपरांत उनके मंत्रिमंडल और सरकार द्वारा इस बात की सिफारिश की गई की राष्ट्रपति [[फ़ख़रुद्दीन अली अहमद]] इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद फैले अव्यवस्था और अराजकता को देखते हुए [[आपातकालीन स्थिति]] की घोषणा करें। तदनुसार, अहमद ने आतंरिक अव्यवस्था के मद्देनजर [[26 जून]] [[1975]] को संविधान की [[अनुच्छेद 352|धारा- 352]] के प्रावधानानुसार आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी।
 
=== डिक्री द्वारा शासन / आदेश आधारित शासन ===
 
कुछ ही महीने के भीतर दो विपक्षीदल शासित राज्यों [[गुजरात]] और [[तमिल नाडु]] पर [[राष्ट्रपति शासन]] थोप दिया गया जिसके फलस्वरूप पूरे देश को प्रत्यक्ष केन्द्रीय शासन के अधीन ले लिया गया।<ref>कोचानेक, स्टेनली,''मिसेज़ गाँधी'स पिरामिड:दा न्यू कांग्रेस''(वेस्टव्यू प्रेस, बोल्डर, सीओ 1976) पी.98</ref> पुलिस को कर्फ़्यू लागू करने तथा नागरिकों को अनिश्चितकालीन रोक रखने की क्षमता सौंपी गयी एवं सभी प्रकाशनों को [[सुचना और प्रसारण मंत्रालय (भारत)|सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय]] के पर्याप्त सेंसर व्यवस्था के अधीन कर दिया गया। [[इन्द्र कुमार गुजराल]], एक भावी प्रधानमंत्री, ने खुद अपने काम में संजय गांधी की दखलंदाजी के विरोध में [[सुचना और प्रसारण मंत्री|सूचना और प्रसारण मंत्रीपद]] से इस्तीफा दे दिया। अंततः आसन्न विधानसभा चुनाव अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए तथा सम्बंधित राज्य के राज्यपाल की सिफारिश पर राज्य सरकार की बर्खास्तगी के संवैधानिक प्रावधान के अलोक में सभी विपक्षी शासित राज्य सरकारों को हटा दिया गया।
 
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=== ओपरेशन ब्लू स्टार और राजनैतिक हत्या ===
{{मुख्य|ऑपरेशन ब्लू स्टर}}
 
गांधी के बाद के वर्ष [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] समस्याओं से जर्जर थे। सितम्बर 1981 में [[जरनैल सिंह भिंडरावाले]] का [[अलगाववादी]] सिख आतंकवादी समूह सिख धर्म के पवित्रतम तीर्थ, [[हरिमन्दिर साहिब]] परिसर के भीतर तैनात हो गया। स्वर्ण मंदिर परिसर में हजारों नागरिकों की उपस्थिति के बावजूद गांधी ने आतंकवादियों का सफया करने के एक प्रयास में सेना को धर्मस्थल में प्रवेश करने का आदेश दिया। सैन्य और नागरिक हताहतों की संख्या के हिसाब में भिन्नता है। सरकारी अनुमान है चार अधिकारियों सहित उनासी सैनिक और 492 आतंकवादी; अन्य हिसाब के अनुसार, संभवत 500 या अधिक सैनिक एवं अनेक तीर्थयात्रियों सहित 3000 अन्य लोग गोलीबारी में फंसे.<ref>रामचंद्र गुहा''गाँधी के बाद भारत ''पन्ना 563</ref> जबकि सटीक नागरिक हताहतों की संख्या से संबंधित आंकडे विवादित रहे हैं, इस हमले के लिए समय एवं तरीके का निर्वाचन भी विवादास्पद हैं।
इन्दिरा गांधी के बहुसंख्यक अंगरक्षकों में से दो थे [[सतवंत सिंह]] और [[बेअन्त सिंह]], दोनों सिख.[[३१ अक्टूबर]] [[1984]] को वे अपनी सेवा हथियारों के द्वारा 1, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में इंदिरा गांधी की राजनैतिक हत्या की। <ref name="ibn">http://khabar.ibnlive.in.com/news/115182/12/4 जब हिल उठा देशः इंदिरा गांधी की हत्या</ref> वो [[ग्रेट ब्रिटेन|ब्रिटिश]] अभिनेता [[पीटर उस्तीनोव]] को आयरिश टेलीविजन के लिए एक वृत्तचित्र फिल्माने के दौरान साक्षात्कार देने के लिए सतवंत और बेअन्त द्वारा प्रहरारत एक छोटा गेट पार करते हुए आगे बढ़ी थीं। इस घटना के तत्काल बाद, उपलब्ध सूचना के अनुसार, बेअंत सिंह ने अपने बगलवाले शस्त्र का उपयोग कर उनपर तीन बार गोली चलाई और सतवंत सिंह एक स्टेन कारबाईन का उपयोग कर उनपर बाईस चक्कर गोली दागे. उनके अन्य अंगरक्षकों द्वारा बेअंत सिंह को गोली मार दी गई और सतवंत सिंह को गोली मारकर [[गिरफ्तार]] कर लिया गया।
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== इन्हें भी देखें==
*[[फिरोज गांधी]]
*[[बांग्लादेश मुक्ति युद्ध]]
*[[उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण]]
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*[[१९८४ सिख विरोधी दंगे]]
*[[ऑपरेशन ब्लू स्टार]]
*[[वंशवाद]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==