"अर्जुन": अवतरणों में अंतर

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== कर्ण और अर्जुन के पिछले जन्म की कथा ==
कर्ण और अर्जुन के पिछले जन्म की कथा का वर्णन पद्म पुराण मे अता है एक बार भगवान ब्रह्मा और महादेव के बिच युद्ध होता है, महादेव ब्रह्माजी के पांचवें सर को काट देते है। क्रोधित ब्रह्मदेव के शरीर से पसिना निकलता है। और पसीने से एक वीर योद्धा उत्पन्न होता है। जो स्वेद से जन्मा इसलिए स्वेदजा के नाम से जाना जाता है। स्वेदजा पिता ब्रह्मा के आदेश से महादेव से युद्ध करने जाता है। महादेव भगवान विष्णु के पास क्रोधित ब्रह्मा द्वारा जन्म लेने वाले स्वेदजा का कुछ उपाय बताने को कहते हैं। भगवान विष्णु अपने रकत से एक वीर को जन्म ‌देते है। रक्त से जन्मा इसलिए उसे रक्तजा के नाम से जाना जाता है। स्वेदजा 1000 कवच के साथ जन्मा था और रकतजा 1000 हाथ और 500 धनुष के साथ । भगवान ब्रह्मा भी विष्णु से हाय उत्पन्न हुज थे इसलिए स्वेदजा भी भगवान विष्णु का अंशा था। स्वेदजा और रुक्तजा में भायंकर युद्ध होता हे। स्वेदजा रक्तजा के 998 हाथ कट देता है और 499 धनुष तोड़ देता हे। वही रक्तजा स्वेदजा के 999 कवच तोड़ देता है। रक्तजा बस हारने ही वाला होता है। भगवान विष्णु समज जाते हैं की‌ रक्तजा से हार जाएगा। इसलिए वे उस युद्ध को शांत करवाते हैं। स्वेदजा दानवीरता दिखाते हुए रक्तजा को जिवनदान देता है। भगवान विष्णु ‌स्वेदजा की जवाबदेही सुर्यनारायण को सोंपते है, और रक्तजा की‌ इंद्रदेव को। वह इंद्रदेव को वचन देते है की अगले जन्म में ‌रक्तजा अपने प्रतिद्वंद्वी स्वेदजा का वध अवश्य करेगा। द्वापर युग में ‌रक्तजा अर्जून और संवेदना कर्ण के रुप में जन्म लेते हैं। और अर्जून अपने सबसे महान प्रतिद्वंद्वी कर्ण‌की युद्ध के नियमों के विरुद्ध हत्या करते हैं।
 
==अन्य नाम==
* '''पार्थ''' (कुन्ती का अन्य नाम -'पृथा' है ; पार्थ = पृथा का पुत्र)
* '''जीष्णु''' (अजेय)
* '''किरीट''' ( इन्द्र द्वारा उपहार में मिला चमकता मुकुट)
* '''श्वेतवाहन''' ( एक चमकता दैवी घोड़ा)
* '''भीभस्तु''' (गोरा योद्धा)
* '''विजय'''
* '''फाल्गुण''' (उत्तर फाल्गुण नक्षत्र में जन्मा)
* '''सव्यसाची''' (बाएँ हाथ से बाण चलाने में सक्षम)
* '''धनञ्जय''' (महासम्पत्तियों का धनी)
* '''गांडीव''' (गांडीव नामक धनुष धारण करने वाला)
* '''कृष्ण''' (श्याम त्वचा वाला)
* '''कपिध्वज''' (जिसके ध्वज पर वानर हो)
* '''गुडकेश''' (निद्रा को जीतने वाला, भयंकर काली रात्रि में धनुर्विद्या का अभ्यास करने से यह नाम पड़ा)
 
==चित्रवीथी==