"आत्मज्ञान": अवतरणों में अंतर

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[[श्रेणी:भारतीय दर्शन]]
 
 
आध्यात्मिक ज्ञान की अंतिम अवस्था में परमात्मा के विभिन्न मतों व स्वरूप का पूर्ण ज्ञान हो जाता है ।
 
शून्यवाद को परिभाषित धर्म _____ परमात्मा नहीं है ●○
इसमें बौध्द धर्म प्रमुख है जो परमात्मा को किसी रूप में ना मानकर अवचेतन मन मानता है जो सभी के ह्रदय की गहराई में है ।
झेन धर्म भी परमात्मा के अस्तित्व को अस्वीकार करता है।
सभी प्रचीन धर्मो में परमात्मा के शून्यवाद परिभाषा:::
सिख धर्म में परमात्मा को निर्गुण निराकार माना गया है अर्थात जो कुछ भी नहीं है वही परमात्मा है ।
हिन्दू में वेदों में निर्गुण निराकार ब्रह्म की परिकल्पना है अर्थात परमात्मा नहीं है इसमें कुछ दर्शन शास्त्र चार्वाक प्रमुख है ।
इस्लाम में परमात्मा के लिए अल्लाहा शब्द का प्रयोग है जिसमें कुरान के अंतिम शब्द में अल्लाहा सब कुछ है कुछ भी नहीं है अर्थात अगर अल्लाहा नहीं है तो शून्यवाद यह है ।
जैन धर्म में भी परमात्मा के अस्तित्व को अस्वीकार किया गया है ।
विज्ञान का सिध्दान्त भी परमात्मा के लिए शून्यवाद है जिसमें परमात्मा एक परिकल्पना है विश्व स्वतः ही ऊर्जा का परिवर्तन रूप है ।
 
पूर्णवाद को परिभाषित धर्म == परमात्मा ही सब कुछ है ●○
हिन्दू धर्म परमात्मा को सम्पूर्ण विश्व है व उसके एक एक कण व जीव में व्याप्त है इसको वेद गीता कुछ दर्शन शास्त्र परिभाषित करते है ।
मुस्लिम में भी अल्लाहा को सब कुछ है कहा गया है ।
 
शून्यवाद व पूर्णवाद को परिभाषित धर्म ____ परमात्मा है भी नहीं भी है ।
हिन्दू में दोनों ही वाद है वेद दर्शन शास्त्र में ।
मुस्लिम में भी अप्रत्यक्ष यही दोनों वाद है ।
 
शून्यवाद व पूर्णवाद को ना मानकर परमात्मा का अलग अस्तित्व स्वीकार धर्म ●○
यही वाद सभी धर्मों का प्रमुख आधार है इसमें मुस्लिम धर्म भी आल्लाहा को ही परमात्मा स्वीकार करता है ।
यहूदी धर्म इसी अवधारणा पर है की परमात्मा यहूवा ही है ।
हिन्दू में परमात्मा को कई स्वरूप में मानते है शिव विष्णु ब्राम्हा राम कृष्ण शक्ति माता ।
जैन जो तप करके परमात्मा बन गये है तीर्थंकर वे ही है ऐसे अनंत तीर्थंकर आए है आते रहगे ।
क्रिश्चियन परमात्मा को एक अलग अस्तित्व स्वीकार करते है जिसमें गाॅड फादर ।
शिंतो धर्म यिन यंग देवी देवता को ही परमात्मा मानते है ।
ताओ धर्म सूर्य को ही परमात्मा मानते है ।
कन्यफूजियस धर्म प्रकृति को ही परमात्मा कहा गया है ।
तथा लोकधर्म जिसमें कुछ आदिवासी है वे अपने इष्ट देव को ही परमात्मा मानते है ।
पारसी धर्म भी इसी मत को मानता है ।
सिख वाहे गुरू जिसे अकाल पुरूष भी कहते है उसे परमात्मा माना गया है ।
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परमात्मा के एकेश्वरवाद व अनेकइश्वरवाद
परमात्मा का एक ही रूप इश्वर है उसमें मुस्लिम यहूदी ताओ प्रमुख है ।
परमात्मा के कई रूप है हिन्दू जैन ।
परमात्मा के दो तीन रूप है क्रिश्चियन शिंतो व कुछ आदिवासी लोग ।
 
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देववाद _ जो देवताओं के शब्दों को महत्व देते है___ हिन्दू धर्म है शिंतो ताओ व सभी आदिवासी संस्कृति ।
 
महात्मा वाद _ जो तपस्वी योगी के वचनों को महत्व देते है______ कन्यफूजियस बौध्द जैन व झेन ।
 
मासीहावाद ____ क्रिश्चियन व यहूदी जो परमात्मा के भेजे गए संदेशवाहक है ।
 
पैगम्बरवाद_______ पारसी व मुस्लिम है जो परमात्मा के आदेश पर लोगों के उसके स्वरूप को बताया ।
 
प्रकृतिवाद_____ जो प्रकृति को ही प्रमुख शक्ति मानते है वे कन्यफूजियस है परन्तु कुछ आदिवासी संस्कृति के लोग भी यही मानते है ।
 
गुरूवाद ____ इसमें जो मनुष्य चिंतन मनन करके ज्ञान दिया व परमात्मा के बारे में बताया है इसमें मात्र सिख धर्म है ।
 
___________ शून्यवाद ह्रदय में जब परमात्मा की परिकल्पना शून्य हो जाऐ फिर पूर्णवाद परमात्मा के चिंतन मनन से विश्व की परिकल्पना हुई अनेकस्वरूपवाद जिसमें परमात्मा की परिकल्पना के बाद विश्व के संरचना आकार संचालन का ज्ञान होता है ।