"कुप्पाली वी गौड़ा पुटप्पा": अवतरणों में अंतर

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| publisher = Ekavi
| accessdate = 2006-10-31 }}
</ref> पुटप्पा ने सभी साहित्यिक कार्य उपनाम 'कुवेम्पु' से किये हैं। उनको [[साहित्य एवं शिक्षा]] के क्षेत्र में सन [[१९५८]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक [[महाकाव्य]] ''[[श्रीरामायण दर्शनम् ]]'' के लिये उन्हें सन् १९५५ में [[साहित्य अकादमी]] पुरस्कार से सम्मानित किया गया।<ref name="sahitya">{{cite web | url=http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp | title=अकादमी पुरस्कार | publisher=साहित्य अकादमी | accessdate=11 सितंबर 2016}}</ref>
 
==कृतियाँ==