"हिन्दुत्व": अवतरणों में अंतर

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“हिन्दू, हिन्दुत्व, हिन्दुइज्म को संक्षिप्त अर्थों में परिभाषित कर किन्हीं मजहबी संकीर्ण सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता है। इसे भारतीय संस्कृति और परंपरा से अलग नहीं किया जा सकता। यह दर्शाता है कि हिन्दुत्व शब्द इस उपमहाद्वीप के लोगों की जीवन पद्धति से संबंधित है। इसे कट्टरपंथी मजहबी संकीर्णता के समान नहीं कहा जा सकता। साधारणतया हिन्दुत्व को एक जीवन पद्धति और मानव मन की दशा से ही समझा जा सकता है।”
 
 
== हिंदुत्व आन्दोलन के प्रमुख विचार ==
== अंतरराष्ट्रीय शब्दकोष और केरीब्राउन के अनुसार हिंदुत्व ==
हिन्दुत्ववादी कहते हैं कि '''हिन्दू''' शब्द के साथ जितनी भी भावनाएं और पद्धतियाँ, ऐतिहासिक तथ्य, सामाजिक आचार-विचार तथा वैज्ञानिक व आध्यात्मिक अन्वेषण जुड़े हैं, वे सभी '''हिन्दुत्व''' में समाहित हैं। हिन्दुत्व शब्द केवल मात्र हिन्दू जाति के कोरे धार्मिक और आध्यात्मिक इतिहास को ही अभिव्यक्त नहीं करता। हिन्दू जाति के लोग विभिन्न मत मतान्तरों का अनुसरण करते हैं। इन मत मतान्तरों व पंथों को सामूहिक रूप से '''हिन्दूमत''' अथवा '''हिन्दूवाद''' नाम दिया जा सकता है। आज भ्रान्तिवश हिन्दुत्व व हिन्दूवाद को एक दूसरे के पर्यायवाची शब्दों के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। यह चेष्टा हिन्दुत्व शब्द का बहुत ही संकीर्ण प्रयोग है। हिन्दुत्ववादियों के अनुसार हिन्दुत्व किसी भी धर्म या उपासना पद्धति के ख़िलाफ़ नहीं है।
वेबस्टर के अँग्रेजी भाषा के तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय शब्दकोष के विस्तृत संकलन में हिन्दुत्व का अर्थ इस प्रकार दिया गया है :-
"यह सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विश्वास और दृष्टिकोण का जटिल मिश्रण है। यह भारतीय उप महाद्वीप में विकसित हुआ। यह जातीयता पर आधारित, मानवता पर विश्वास करता है। यह एक विचार है जो कि हर प्रकार के विश्वासों पर विश्वास करता है तथा धर्म, कर्म, अहिंसा, संस्कार व मोक्ष को मानता है और उनका पालन करता है । यह ज्ञान का रास्ता है स्नेह का रास्ता है । जो पुनर्जन्म पर विश्वास करता है । यह एक जीवन पद्धति है जो हिन्दू की विचारधारा है।"
अँग्रेजी लेखक केरीब्राउन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द इसेन्शियल टीचिंग्स ऑफ हिन्दुइज्म' में अपने विचार इन शब्दों में व्यक्त किये हैं –
“आज हम जिस संस्कृति को हिन्दू संस्कृति के रूप में जानते हैं और जिसे भारतीय सनातन धर्म या शाश्वत नियम कहते हैं वह उस मजहब से बड़ा सिद्धान्त है जिस मजहब को पश्चिम के लोग समझते हैं। कोई किसी भगवान में विश्वास करे या किसी ईश्वर में विश्वास नहीं करे फिर भी वह हिन्दू है। यह एक जीवन पद्धति, है यह मस्तिष्क की एक दशा है।”
 
== डॉ. राधाकृष्णन के विचार ==
डॉ. राधाकृष्णन ने अपनी पुस्तक “द हिन्दू व्यू ऑफ लाईफ" में हिन्दुत्व के स्वभाव का विवरण दिया है।
“अगर हम हिन्दुत्व के व्यावहारिक भाग को देखें तो हम पाते हैं कि यह जीवन पद्धति है न कि कोई विचारधारा। हिन्दुत्व जहाँ वैचारिक अभिव्यक्ति को स्वतंत्रता देता है वहीं वह व्यावहारिक नियम को सख्ती से अपनाने को कहता है। नास्तिक अथवा आस्तिक सभी हिन्दू हो सकते हैं, बशर्ते वे हिन्दू संस्कृति और जीवन पद्धति को अपनाते हों। हिन्दुत्व धार्मिक एकरूपता पर जोर नहीं देता, वरन् आध्यात्मिक दृष्टिकोण अपनाता है। इस या उस दृष्टिकोण का अनुयायी कभी भी दुष्ट प्रवृत्ति का अनुगमन नहीं करेगा। वास्तव में व्यावहारिकता, सिद्धांत के पूर्व की स्थिति है। हमारा धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन चाहे जो हो पर इस बात पर सभी सहमत हैं कि हमें अपने हितकारियों के प्रति आभारी और दुर्भाग्यहीनों के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करनी चाहिए। हिन्दुत्व सामाजिक जीवन पर जोर देता है और उन लोगों को साथी बनाता है जो नैतिक मूल्यों से बँधे होते हैं। हिन्दुत्व कोई संप्रदाय नहीं है बल्कि उन लोगों का समुदाय है जो दृढ़ता से सत्य को पाने के लिये प्रयत्नशील हैं।”
 
==धर्म पर उच्चतम न्यायालय का कथन==
'धर्म जिसे ऐतिहासिक कारणों से 'हिन्दू धर्म' कहा जाता है वह जीवन के सभी नियमों को शामिल करता है । जो जीवन के सुख के लिए आवश्यक है। भारत के उच्चतम न्यायालय की ओर से विचार व्यक्त करते हुये न्यायमूर्ति जे. रामास्वामी ने उक्त बात कही । (ए.आई.आर. 1996 एल.सी. 1765) –
 
'' धर्म या हिन्दू धर्म' सामाजिक सुरक्षा और मानवता के उत्थान के लिए किए गए कार्यों का समन्वय करता है। उन सभी प्रयासों का इसमें समावेश है जो कि उपरोक्त उद्देश्य की पूर्ति में तथा मानव मात्र की प्रगति में सहायक होते हैं। यही धर्म है, यही हिन्दू धर्म है और अन्तत: यही सर्वधर्म समभाव है। (पैरा 81)
इसके विपरीत भारत के एकीकरण हेतु धर्म वह है जो कि स्वयं ही अच्छी चेतना या किसी की प्रसन्नता के वांछित प्रयासों से प्रस्फुटित एवं सभी के कल्याण हेतु, भय, इच्छा, रोग से मुक्त, अच्छी भावनाओं एवं बंधुत्व भाव, एकता एवं मित्रता को स्वीकृति प्रदान करता है। यही वह मूल ‘रिलीजन' है जिसे संविधान सुरक्षा प्रदान करता है।' (पैरा 82)
 
==आलोचना और समर्थन==