"हिन्दुत्व": अवतरणों में अंतर

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''' हिन्दुत्व ''' धर्म का पर्यायवाची है, जो भारत वर्ष में प्रचलित उन सभी आचार-विचारों, व्यक्ति और समाज में पारस्परिक सामाजिक समरसता, संतुलन तथा मोक्ष प्राप्ति के सहायक तत्वों को स्पष्ट करता है। यह एक जीवन-दर्शन और जीवन पद्धति है जो मानव समाज में फैली समस्याओं को सुलझाने में सहायक है। अभी तक हिन्दुत्व को मजहब के समानार्थी मानकर उसे गलत समझा गया था, उसकी गलत व्याख्या की गई, क्योंकि मजहब मात्र पूजा की एक पद्धति है जबकि हिन्दुत्व एक दर्शन है जो मानव जीवन का समग्रता से विचार करता है। समाजवाद और साम्यवाद भौतिकता पर आधारित राजनैतिक एवं आर्थिक दर्शन है जबकि हिन्दुत्व एक ऐसा दर्शन है जो मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त उसकी मानसिक, बौद्धिक और भावनात्मक आवश्यकता की भी पूर्ति करता है। कोई व्यक्ति मात्र सुविधाओं की प्राप्ति से प्रसन्न नहीं रह सकता। हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति है जो व्यक्ति की सभी वैध आवश्यकताओं और अभिलाषाओं को संतुष्ट करती है ताकि मानवता के सिद्धांतों के साथ प्रसन्न रह सके ।
<ref>{{Cite web|url=https://www.hindutwa.net/2019/05/geeta-anusar-shrishti-rachna.html?/|title=हिंदुत्व: जो विद्या और अविद्या को जानने वाला है, इस सृष्टि के उत्पन्न प्रलय का कारण है, जो माया को अपने वश में करके योगमाया द्वारा धर्म को पुनः स्थापत करने के लिए हर युग में आता है, उसके प्रति भावना को हिंदुत्व कहा जाता है ?|first=हिंदुत्व|last=Hindutwa|date=१६ मई २०१९|accessdate=10 मई 2019}}</ref>
 
== उच्चतम न्यायालय की दृष्टि में हिन्दु, हिन्दुत्व और हिन्दुइज्म ==
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== हिन्दुत्व के प्रधान पक्ष ==
हिन्दू जीवन पद्धति के अनेक विशिष्ट लक्षण हैं। इसके प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं<ref>{{Cite web|url=https://www.hindutwa.net/p/about.html?/|title=हिंदुत्व: विश्व में हो रही प्रगति में हिंदुत्व का बहुत योगदान है, भूमिका है- वेदों की, वेद के दो प्रकार हैं, विस्तार से समझें?|first=ब्राह्मणभाग|last=मन्त्रभाग|date=१६ मई २०१९}}</ref>
 
(१) '''कृतज्ञता''' : व्यक्तियों एवं अन्य जीवित प्राणियों के प्रति जो हमारे सहयोगी रहे हैं, कृतज्ञता का भाव रखना, हिन्दू जीवन पद्धति है। ईश्वर के किसी रूप अथवा चुनी गई विधि से उपासना का आधार भी यही भावना है। पुन: यही भावना देवताओं के समान माता, पिता एवं शिक्षक के प्रति आदर का आधार है। पति एवं पत्नी के मध् य अटूट बंधन का आधार भी यही कृतज्ञता की भावना है। पुनश्च, यही कृतज्ञता की भावना पेड़-पौधों एवं पशुओं की पूजा की प्रथा, साथ ही दशहरे के आयुध पूजा के दिन, सभी उपकरणों अथवा औजारों जिनसे हम जीविकोपार्जन करते हैं, की उपासना का आधार है। इस भावना के कारण ही गायों, बछड़ों, बैलों की हत्या को निषिद्ध किया गया है, क्योंकि गाय हमें बाल्यावस्था से मृत्यु तक जीवनदायी दूध प्रदान करती है तथा बैल, कृषि एवं परिवहन में हमारी सहायता करते हैं। हम गाय की पूजा, गौमाता के रूप में करते हैं।