"गंगा नदी": अवतरणों में अंतर

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गंगा नदी पर निर्मित अनेक बांध भारतीय जन-जीवन तथा अर्थव्यवस्था का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इनमें प्रमुख हैं— फ़रक्का बांध, टिहरी बांध, तथा भीमगोडा बांध। फ़रक्का बांध (बैराज) भारत के [[पश्चिम बंगाल]] प्रान्त में स्थित गंगा नदी पर बनाया गया है। इस बांध का निर्माण [[कोलकाता]] बंदरगाह को गाद (सिल्ट) से मुक्त कराने के लिए किया गया था जो कि १९५० से १९६० तक इस बंदरगाह की प्रमुख समस्या थी। कोलकाता [[हुगली]] नदी पर स्थित एक प्रमुख बंदरगाह है। ग्रीष्म ऋतु में हुगली नदी के बहाव को निरन्तर बनाये रखने के लिए गंगा नदी के जल के एक बड़े हिस्से को फ़रक्का बांध के द्वारा हुगली नदी में मोड़ दिया जाता है। गंगा पर निर्मित दूसरा प्रमुख [[टिहरी बाँध|टिहरी बांध]], टिहरी विकास परियोजना का एक प्राथमिक बांध है जो [[उत्तराखंड|उत्तराखण्ड]] प्रान्त के [[टिहरी जिला|टिहरी]] जिले में स्थित है। यह बांध गंगा नदी की प्रमुख सहयोगी नदी [[भागीरथी]] पर बनाया गया है। टिहरी बांध की ऊँचाई २६१ मीटर है जो इसे विश्व का पाँचवाँ सबसे ऊँचा बांध बनाती है। इस बांध से २४०० मेगावाट विद्युत उत्पादन, २,७०,००० हेक्टर क्षेत्र की सिंचाई और प्रतिदिन १०२.२० करोड़ लीटर पेयजल दिल्ली, उत्तर-प्रदेश एवम् उत्तराखण्ड को उपलब्ध कराना प्रस्तावित है। तीसरा प्रमुख भीमगोडा बांध [[हरिद्वार]] में स्थित है जिसको सन् १८४० में अंग्रेजों ने गंगा नदी के पानी को विभाजित कर ऊपरी गंगा नहर में मोड़ने के लिए बनवाया था। यह नहर हरिद्वार के भीमगोडा नामक स्‍थान से गंगा नदी के दाहिने तट से निकलती है। प्रारम्‍भ में इस नहर में जलापूर्ति गंगा नदी में एक अस्‍थायी बांध बनाकर की जाती थी। वर्षाकाल प्रारम्‍भ होते ही अस्‍थायी बांध टूट जाया करता था तथा मॉनसून अवधि में नहर में पानी चलाया जाता था। इस प्रकार इस नहर से केवल रबी की फसलों की ही सिंचाई हो पाती थी। अस्‍थायी बांध निर्माण स्‍थल के अनुप्रवाह (नीचे की ओर बहाव) में वर्ष १९७८-१९८४ की अवधि में भीमगोडा बैराज का निर्माण करवाया गया। इसके बन जाने के बाद ऊपरी गंगा नहर प्रणाली से खरीफ की फसल में भी पानी दिया जाने लगा।<ref>{{cite web |url= http://idup.gov.in/wps/portal/!ut/p/c0/04_SB8K8xLLM9MSSzPy8xBz9CP0os3hTS1MnnwBHAwP3IH83AyNzoxCTQFMzQxNfU_2CbEdFANeB8hE!|title=सिंचाई का इतिहास व प्रदेश की मुख्‍य नहर प्रणालियों का सिंहावलोकन|access-date=[[२२ जून]] [[२००९]]|format=|publisher=उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग|language=}}</ref>
 
== [https://tyrosx.com/the-ganga-river/ प्रदूषण एवं पर्यावरण] ==
{{main|गंगा प्रदूषण नियंत्रण}}
[[चित्र:Gaumukh.jpg|thumb|right|256px|गोमुख पर शुद्ध गंगा]]गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। लम्बे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में [[बैक्टीरियोफेज]] नामक [[विषाणु]] होते हैं, जो [[जीवाणु]]ओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। नदी के जल में प्राणवायु ([[ऑक्सीजन]]) की मात्रा को बनाये रखने की असाधारण क्षमता है; किन्तु इसका कारण अभी तक अज्ञात है। एक राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो कार्यक्रम के अनुसार इस कारण [[हैजा]] और [[पेचिश]] जैसी बीमारियाँ होने का खतरा बहुत ही कम हो जाता है, जिससे महामारियाँ होने की सम्भावना बड़े स्तर पर टल जाती है।<ref>बैक्टीरियोफेज का स्व-शुद्धिकरण प्रभाव, ऑक्सीजन रिटेन्शन रहस्य: [http://www.npr.org/templates/story/story.php?storyId=17134270 मिस्ट्री फ़ैक्टर गिव्स गैन्जेस ए क्लीन रेप्युटेशन] जूलियन क्रैन्डा-२ हॉल्लिक. नेशनल पब्लिक रेडियो।</ref> लेकिन गंगा के तट पर घने बसे औद्योगिक नगरों के नालों की गंदगी सीधे गंगा नदी में मिलने से प्रदूषण पिछले कई सालों से भारत सरकार और जनता के चिन्ता का विषय बना हुआ है। औद्योगिक कचरे के साथ-साथ प्लास्टिक कचरे की बहुतायत ने गंगा जल को बेहद प्रदूषित किया है। वैज्ञानिक जाँच के अनुसार गंगा का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन स्तर ३ डिग्री (सामान्य) से बढ़कर ६ डिग्री हो चुका है। गंगा में २ करोड़ ९० लाख लीटर प्रदूषित कचरा प्रतिदिन गिर रहा है। विश्व बैंक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर-प्रदेश की १२ प्रतिशत बीमारियों की वजह प्रदूषित गंगा जल है। यह घोर चिन्तनीय है कि गंगाजल न स्नान के योग्य रहा, न पीने के योग्य रहा और न ही सिंचाई के योग्य। गंगा के पराभव का अर्थ होगा, हमारी समूची सभ्यता का अन्त।<ref>{{cite web |url= http://www.patrika.com/article.aspx?id=10912|title=खतरे में गंगा का अस्तित्व|access-date=[[२२ जून]] [[२००९]]|format=एएसपीएक्स| publisher=पत्रिका|language=}}</ref> गंगा में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए घड़ियालों की मदद ली जा रही है।<ref>{{cite web |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4126070.cms|title=गंगा को प्रदूषण से बचाएंगे ७१ घड़ियाल