"पितृ पक्ष": अवतरणों में अंतर

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जब बात आती है श्राद्ध कर्म की तो बिहार स्थित गया का नाम बड़ी प्रमुखता व आदर से लिया जाता है। गया समूचे भारत वर्ष में हीं नहीं सम्पूर्ण विश्व में दो स्थान श्राद्ध तर्पण हेतु बहुत प्रसिद्द है। वह दो स्थान है बोध गया और विष्णुपद मन्दिर | '''विष्णुपद मंदिर''' वह स्थान जहां माना जाता है कि स्वयं भगवान विष्णु के चरण उपस्थित है, जिसकी पूजा करने के लिए लोग देश के कोने-कोने से आते हैं। गया में जो दूसरा सबसे प्रमुख स्थान है जिसके लिए लोग दूर दूर से आते है वह स्थान एक नदी है, उसका नाम "फल्गु नदी" है। ऐसा माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने स्वयं इस स्थान पर अपने पिता राजा दशरथ का पिंड दान किया था। तब से यह माना जाने लगा की इस स्थान पर आकर कोई भी व्यक्ति अपने पितरो के निमित्त पिंड दान करेगा तो उसके पितृ उससे तृप्त रहेंगे और वह व्यक्ति अपने पितृऋण से उरिण हो जायेगा | इस स्थान का नाम ‘गया’ इसलिए रखा गया क्योंकि भगवान विष्णु ने यहीं के धरती पर असुर गयासुर का वध किया था। तब से इस स्थान का नाम भारत के प्रमुख तीर्थस्थानो में आता है और बड़ी ही श्रद्धा और आदर से "गया जी" बोला जाता है।
 
===== '''[httphttps://www.mpanchang.com/festivalfestivals/shradh/2017-shradh-and-pitrupitrupaksha-pakshabegin/ श्राद्ध २०१७२०१९] विवरण''' =====
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!तिथि
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* [http://hindi.webdunia.com/religion/occasion/others/0709/06/1070906021_1.htm पितृ श्राद्ध क्यों? ] (वेबदुनिया)
* [http://essenceofastro.blogspot.com/2014/09/pitru-paksh-shraadh.html पितृपक्ष में श्राद्ध]
* '''[httphttps://www.mpanchang.com/festivalfestivals/shradh/2017-shradh-and-pitrupitrupaksha-pakshabegin/ श्राद्ध २०१७२०१९]'''
 
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]