"चंद्रकांता (उपन्यास)": अवतरणों में अंतर

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== कथानक ==
चन्द्रकान्ता को एक प्रेम कथा कहा जा सकता है। इस शुद्ध लौकिक प्रेम कहानी को, दो दुश्मन राजघरानों, [[नवगढ]] और [[विजयगढ]] के बीच, प्रेम और घृणा का विरोधाभास आगे बढ़ाता है। विजयगढ की [[राजकुमारी चंद्रकांता]] और नवगढ के [[राजकुमार विरेन्द्र विक्रम]] को आपस में प्रेम है। लेकिन राज परिवारों में दुश्मनी है। दुश्मनी का कारण है कि विजयगढविजयगढ़ के महाराज नवगढनवगढ़ के राजा को अपने भाई की हत्या का जिम्मेदार मानते है। हांलांकिहालांकि इसका जिम्मेदार विजयगढ का महामंत्री [[क्रूर सिंह]] है, जो चंद्रकांता से शादी करने और विजयगढ का महाराज बनने का सपना देख रहा है। राजकुमारी चंद्रकांता और राजकुमार विरेन्द्र विक्रम की प्रमुख कथा के साथ साथ ऐयार तेजसिंह तथा ऐयारा चपला की प्रेम कहानी भी चलती रहती है। कथा का अंत नौगढ़ के राजा सुरेन्द्र सिंह के पुत्र वीरेन्द्र सिंह तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चन्द्रकांता के परिणय से होता है।
 
== समीक्षा ==