"आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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== भारतेंदु हरिश्चंद्र युग की कविता (१८५०-१९००) ==
ईस्वी सन १८५० से १९०० तक की कविताओं पर [[भारतेंदु हरिश्चंद्र]] का गहरा प्रभाव पड़ा है। वे ही आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह हैं। उन्होंने भाषा को एक चलता हुआ रूप देने की कोशिश की। आपके काव्य-साहित्य में प्राचीन एवं नवीन का मेल लक्षित होता है। भक्तिकालीन, रीतिकालीन परंपराएं आपके काव्य में देखी जा सकती हैं तो आधुनिक नूतन विचार और भाव भी आपकी कविता krgiओंकविताओं में पाए जाते हैं। आपने भक्ति-प्रधान, श्रृंगार-प्रधान, देश-प्रेम-प्रधान तथा piसामाजिक-समस्या-प्रधान Fifiकविताएं की हैं। आपने ब्रजभाषा से खड़ीबोली की ओर हिंदी-कविता को ले जाने का प्रयास किया। आपके युग में अन्य कई महानुभाव ऐसे हैं जिन्होंने विविध प्रकार हिंदी साहित्य को समृध्द किया। इस काल के प्रमुख कवि हैं-
सामाजिक-समस्या-प्रधान कविताएं की हैं। आपने ब्रजभाषा से खड़ीबोली की ओर हिंदी-कविता को ले जाने का प्रयास किया। आपके युग मेंusdjk gf fun by ffg अन्य कई महानुभाव ऐसे हैं जिन्होंने विविध प्रकार हिंदी साहित्य को समृध्द कियाj gf df h। इस काल के प्रमुख कवि हैं-
* भार्तेन्दु हरिश्चन्द्र
* प्रताप नारायण मिश्र