"वेश्यावृत्ति": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Prostitute tj.jpg|thumb|[[टियुआना]], [[मेक्सिको]] में वेश्या]]
अर्थलाभ के लिए स्थापित संकर [[संभोग|यौन संबंध]] '''वेश्यावृत्ति''' कहलाता है। इसमें उस भावनात्मक तत्व का अभाव होता है जो अधिकांश यौनसंबंधों का एक प्रमुख अंग है। विधान एवं परंपरा के अनुसार वेश्यावृत्ति IBLEESMUSALMAAN2068CMMUSABउपस्त्रीउपस्त्री सहवास, [[परस्त्रीगमन]] एवं अन्य अनियमित [[वासना|वासनापूर्ण]] संबंधों से भिन्न होती है। संस्कृत कोशों में यह वृत्ति अपनाने वाले स्त्रियों के लिए विभिन्न संज्ञाएँ दी गई हैं। [[वेश्या]], रूपाजीवा, पण्यस्त्री, गणिका, वारवधू, लोकांगना, नर्तकी आदि की गुण एवं व्यवसायपरक अमिघा है - 'वेशं (बाजार) आजोवो यस्या: सा वेश्या' (जिसकी आजीविका में बाजार हेतु हो, 'गणयति इति गणिका' (रुपया गिननेवाली), 'रूपं आजीवो यस्या: सा रूपाजीवा' (सौंदर्य ही जिसकी आजीविका का कारण हो); पण्यस्त्री - 'पण्यै: क्रोता स्त्री' (जिसे रुपया देकर आत्मतुष्टि के लिए क्रय कर लिया गया हो)।
 
== इतिहास ==
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=== प्राचीन भारत ===
[[वेद|वेदों]] के दीर्घतमा [[ऋषि]], [[पुराण|पुराणों]] की [[अप्सरा|अप्सराएँ]], आर्ष काव्यों, [[रामायण]] एवं [[महाभारत]] की शताधिक [[उपकथा|उपकथाएँ]] [[मनु]], [[याज्ञवल्क्य]], [[नारद]] आदि स्मृतियों का आदिष्ट कथन, [[तंत्र|तंत्रों]] एवं गुह्य साधनाओं की शक्तिस्थानीया रूपसी कामिनियाँ, उत्सवविशेष की शोभायात्रा में आगे-आगे अपना प्रदर्शन करती हुई नर्तकियाँ किसी न किसी रूप में प्राचीन भारतीय समाज में सदैव अपना सम्मानित स्थान प्राप्त करती रही है। [[दशकुमारचरित]], [[कालिदास]] की रचनाएँ, [[समयमातृका]], [[दामोदर गुप्त]] का [[कुट्टनीमतम्]] आदि ग्रंथों में वीरांगनाओं का अतिरंजित वर्णन मिलता है। [[कौटिल्य]] [[अर्थशास्त्र]] ने इन्हें [[राजतंत्र]] का अविच्छिन्न अंग माना है तथा एक सहस्र पण वार्षिक शुल्क पर प्रधान गणिका की नियुक्ति का आदेश दिया है। महानिर्वाणतंत्र में तो तीर्थस्थानों में भी देवचक्र के समारंभ में शक्तिस्वरूपा वेश्याओं को सिद्धि के लिए आवश्यक माना है। वे राजवेश्या, नागरी, [[गुप्तवेश्या]], [[ब्रह्मवेश्या]] तथा [[देववेश्या]] के रूप में पंचवेश्या हैं। स्पष्ट है कि समाज का कोई अंग एवं इतिहास का कोई काल इनसे विहीन नहीं था। इनके विकास का इतिहास समाजविकास का इतिहास है। त्रिवर्ग ([[धर्म]], [[अर्थ]], [[काम]]) की सिद्धि में ये सदैव उपस्थित रही हैं। वैदिक काल की अप्सराएँ और गणिकाएँ [[मध्ययुग]] में [[देवदासी|देवदासियाँ]] और नगरवधुएँ तथा मुसलिममुस्लिम काल में वारांगनाएँ और वेश्याएँ बन गर्इं। प्रारंभ में ये धर्म से संबद्ध थीं और [[चौसठ कलाएँ|चौसठों कलाओं]] में निपुण मानी जाती थीं। मध्युग में सामंतवाद की प्रगति के साथ इनका पृथक् वर्ग बनता गया और कलाप्रियता के साथ कामवासना संबद्ध हो गर्इंगई, पर यौनसंबंध सीमित और संयत था। कालांतर में [[नृत्यकला]], [[संगीतकला]] एवं सीमित यौनसंबंध द्वारा जीविकोपार्जन में असमर्थ वेश्याओं को बाध्य होकर अपनी जीविका हेतु लज्जा तथा संकोच को त्याग कर अश्लीलता के उस स्तर पर उतरना पड़ा जहाँ पशुता प्रबल है।स्वामिहै।स्वामी दयानंद सरस्वती ने इस कूप्रथाकुप्रथा का विरोध किया तो उनकीनन्ही हत्या नन्हीजान द्वारानाम की गयीएक नन्हीवेश्या जानने केउनकी वंशजहत्या वर्तमान में भी वैश्यावृति और मिलावट में संलग्नकर हैदी।
 
== वेश्यावृति के कारण ==
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=== मनोवैज्ञानिक कारण ===
वेश्यावृत्ति का एक प्रमुख आधार मनोवैज्ञानिक है। कतिपय स्त्रीपुरुषोंस्त्री पुरुषों में कामकाज प्रवृत्ति इतनी प्रबल होती है कि इसकी तृप्ति, मात्र वैवाहिक संबंध द्वारा संभव नहीं होती। उनकी कामवासना की स्वतंत्र प्रवृत्ति उन्मुक्त यौनसंबंध द्वारा पुष्ट होती है। विवाहित पुरुषों के वेश्यागमन तथा विवाहित स्त्रियों के विवाहेतर संबंध में यही प्रवृत्ति क्रियाशील रहती है।
 
== उन्मूलन के प्रयास ==
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देश में रोजाना 2000 लाख रूपये का देह व्यापार होता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 68 प्रतिशत लड़कियों को रोजगार के झांसे में फंसाकर वेश्यालयों तक पहुंचाया जाता है। 17 प्रतिशत शादी के वायदे में फंसकर आती हैं। वेश्यावृत्ति में लगी लड़कियों और महिलाओं की तादाद 30 लाख है। मुम्बई और ठाणे के वेश्यावृत्ति के अड्डों से तो खण्डित रूस और मध्य एशियाई देशों की युवतियों को पकड़ा गया है। भारत में वेश्यावृत्ति के बाजार को देखते हुए अनेक देशों की युवतियां वेश्यावृत्ति के जरिए कमाई करने के लिए भारत की ओर रूख कर रही हैं।
 
मुम्बई पुलिस के दस्तावेजों के मुताबिक बाहर से आकर यहां वेश्यावृत्ति में लिप्त युवतियों में [[उज्बेकिस्तान]] की युवतियायुवतियाँ सबसे ज्यादा हैं। गृह मंत्रालय के वर्ष 2007 के आंकडे़ के अनुसार भारत में तमिलनाडु और कर्नाटक देहव्यापार में शिर्ष पर हैं। 2007 के आंकडे़ के अनुसार वेश्यावृत्ति के 1199 मामले तमिलनाडु में और 612 मामले कर्नाटक में दर्ज किए गए। ये मामले वेश्यावृत्ति निवारण कानून के तहत दर्ज किए गए हैं।
 
== वेश्यावृत्ति और कानून (भारत) ==