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[[1957]] में मीना कुमारी दो फिल्मों में पर्दे पर नज़र आईं। प्रसाद द्वारा कृत पहली फ़िल्म ''[[मिस मैरी (1957 फ़िल्म)|मिस मैरी]]'' में कुमारी ने [[दक्षिण भारत]] के मशहूर अभिनेता [[जेमिनी गणेशन]] और [[किशोर कुमार]] के साथ काम किया। प्रसाद द्वारा कृत दूसरी फ़िल्म ''[[शारदा (1957 फ़िल्म)|शारदा]]'' ने मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा की ट्रेजेडी क्वीन बना दिया। यह उनकी [[राज कपूर]] के साथ की हुई पहली फ़िल्म थी। जब उस ज़माने की सभी अदाकाराओं ने इस रोल को करने से मन कर दिया था तब केवल मीना कुमारी ने ही इस रोल को स्वीकार किया था और इसी फिल्म ने उन्हें उनका पहला '''बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री''' का खिताब दिलवाया।
 
1958:फिल्म सहारा के लिए (लेखराज भाखरी द्वारा निर्देशित), मीना कुमारी को फिल्मफेयर नामांकन मिला। फ़िल्म यहुदी, बिमल रॉय द्वारा निर्देशित थी जिसमें मीना कुमारी, दिलीप कुमार, सोहराब मोदी, नजीर हुसैन और निगार सुल्ताना ने अभिनय किया। यह रोमन साम्राज्य में यहूदियों के उत्पीड़न के बारे में, पारसी - उर्दू रंगमंच में एक क्लासिक, आगा हाशर कश्मीरी द्वारा ''यहुदी की लड़की'' पर आधारित थी। यह फ़िल्म मुकेश द्वारा गाए गए प्रसिद्ध गीत "ये मेरा दीवानापन है" के साथ बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। फरिश्ता - मुख्य नायक के रूप में अशोक कुमार और मीना कुमारी ने अभिनय किया। फिल्म को औसत से ऊपर दर्जा दिया गया था। फ़िल्म सवेरा सत्येन बोस द्वारा निर्देशित की गई, जिसमें मीना कुमारी और अशोक कुमार प्रमुख भूमिकाओं में थे।
 
1959: देवेन्द्र गोयल द्वारा निर्देशित और निर्मित, चिराग कहाँ रोशनी कहाँ में राजेंद्र कुमार और हनी ईरानी के साथ मीना कुमारी दिखीं। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और मीना कुमारी को उनके अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर नामांकन मिला। चार दिल चार राहें का निर्देशन ख्वाजा अहमद अब्बास ने किया, जिसमें स्टार मीना कुमारी, राज कपूर, शम्मी कपूर, कुमकुम और निम्मी थे। फिल्म को आलोचकों से गर्म समीक्षा मिली। शरारात - एक 1959 की रोमांटिक ड्रामा फिल्म थी, जिसे हरनाम सिंह रवैल द्वारा लिखा और निर्देशित किया गया था, जिसमें मीना कुमारी, किशोर कुमार, राज कुमार और कुमकुम मुख्य भूमिकाओं में थे। किशोर कुमार द्वारा गाए गया यादगार गीत "हम मतवाले नौजवान" आज भी याद किया जाता है।
 
1960: दिल अपना और प्रीत पराई, किशोर साहू द्वारा लिखित और निर्देशित एक हिंदी रोमांटिक ड्रामा थी। इस फिल्म में मीना कुमारी, राज कुमार और नादिरा ने मुख्य भूमिका निभाई। फिल्म एक सर्जन की कहानी बताती है जो एक पारिवारिक मित्र की बेटी से शादी करने के लिए बाध्य है, जबकि उसे एक सहकर्मी नर्स से प्यार है, जिसे मीना कुमारी ने निभाया है। यह मीना कुमारी के करियर के प्रसिद्ध अभिनय में से एक है। फिल्म का संगीत शंकर जयकिशन द्वारा दिया गया है, और हिट गीत, "अजीब दास्तान है ये" लता मंगेशकर द्वारा गाया गया है। 1961 के फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स में इसने सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक श्रेणी के लिए नौशाद के लोकप्रिय संगीत महाकाव्य मुग़ल-ए-आज़म को हराकर खलबली मचा दी। बहाना - कुमार द्वारा निर्देशित, मीना कुमारी, सज्जन, अनवर की स्टार कास्ट थी। कोहिनूर - एस. यू. सनी द्वारा निर्देशित मीना कुमारी, दिलीप कुमार, लीला चिटनिस और कुमकुम के साथ बनाई गई फ़िल्म थी। यह एक मज़ाइया फ़िल्म थी और काफी हिट रही।
1961: भाभी की चुडियां एक पारिवारिक ड्रामा थी जिसका निर्देशन सदाशिव कवि ने मीना कुमारी और बलराज साहनी के साथ किया था। यह मीना कुमारी के प्रसिद्ध फिल्मों में से एक है। यह फिल्म लता मंगेशकर के प्रसिद्ध गीत "ज्योति कलश छलके" के साथ भारतीय बॉक्स ऑफिस पर वर्ष की सबसे अधिक कमाई वाली फिल्मों में से एक थी। ज़िन्दगी और ख्वाब - मीना कुमारी और राजेंद्र कुमार अभिनीत एस. बनर्जी निर्देशित भारतीय बॉक्स ऑफ़िस पर हिट रही। प्यार का सागर का निर्देशन मीना कुमारी और राजेंद्र कुमार के साथ देवेंद्र गोयल ने किया था।
 
==1962 और उसके बाद==
1962: साहिब बीबी और गुलाम, गुरु दत्त द्वारा निर्मित और अबरार अल्वी द्वारा निर्देशित फिल्म थी। यह बिमल मित्र के बंगाली उपन्यास "साहेब बीबी गोलम" पर आधारित है। फिल्म में मीना कुमारी, गुरु दत्त, रहमान, वहीदा रहमान और नाज़िर हुसैन हैं। इसका संगीत हेमंत कुमार का है और गीत शकील बदायुनी के हैं। इस फिल्म को वी. के. मूर्ति और गीता दत्त द्वारा गाए गए प्रसिद्ध गीत "ना जाओ सईयां छुड़ा के बइयां" और "पिया ऐसो जिया में" के लिए भी जाना जाता है।
फिल्म ने चार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जिसमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी शामिल है। इस फिल्म को 13 वें बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में गोल्डन बियर के लिए नामित किया गया था, जहाँ मीना कुमारी को एक प्रतिनिधि के रूप में चुना गया था। साहिब बीबी और गुलाम को ऑस्कर में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुना गया था।
फनी मजूमदार द्वारा निर्देशित आरती में मीना कुमारी, अशोक कुमार, प्रदीप कुमार और शशिकला निर्णायक भूमिका में हैं। कुमारी को इस फिल्म के लिए बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। मैं चुप रहुंगी - ए. भीमसिंह द्वारा निर्देशित मीना कुमारी और सुनील दत्त के साथ मुख्य भूमिका में, वर्ष की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी और मीना कुमारी को उनके प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर नामांकन मिला।
 
1963: दिल एक मंदिर, सी. वी. श्रीधर द्वारा निर्देशित थी जिसमें मीना कुमारी, राजेंद्र कुमार, राज कुमार और महमूद मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म का संगीत शंकर जयकिशन द्वारा दिया गया है। यह बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी हिट थी। फ़िल्म अकेली मत जाइयो को नंदलाल जसवंतलाल ने निर्देशित किया था। यह मीना कुमारी और राजेंद्र कुमार के साथ एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है। किनारे किनारे को चेतन आनंद ने निर्देशित किया था और इसमें मीना कुमारी, देव आनंद और चेतन आनंद ने मुख्य भूमिकाओं थे।
 
1964: सांझ और सवेरा - हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसमें मीना कुमारी, गुरुदत्त और महमूद ने अभिनय किया था। यह फ़िल्म गुरु दत्त की अंतिम फ़िल्म थी। बेनज़ीर - एस. खलील द्वारा निर्देशित एक मुस्लिम सामाजिक फिल्म थी, जिसमें मीना कुमारी, अशोक कुमार, शशि कपूर और तनुजा ने अभिनय किया था। मीरा कुमारी, अशोक कुमार और प्रदीप कुमार द्वारा अभिनीत और किदार शर्मा द्वारा निर्देशित चित्रलेखा 1934 के हिंदी उपन्यास पर आधारित थी, जो इसी नाम से भगवती चरण वर्मा द्वारा मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत आने वाले बीजगुप्त और राजा चंद्रगुप्त मौर्य (340 ईसा पूर्व -298 ईसा पूर्व) के बारे में थी। फिल्म का संगीत और बोल रोशन और साहिर लुधियानवी के थे और "संसार से भीगे फिरते हो" और "मन रे तू कहे" जैसे गीतों के लिए प्रसिद्ध थे। मीना कुमारी और सुनील दत्त द्वारा अभिनीत वेद-मदन द्वारा निर्देशित गजल एक मुस्लिम सामाजिक फिल्म थी, इसमें साहिर लुधियानवी के गीतों के साथ मदन मोहन का संगीत था, जिसमें मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाए गए "रंग और नूर की बारात", लता मंगेशकर द्वारा गाया गया "नगमा ओ ​शेर की सौगात" जैसे उल्लेखनीय फ़िल्म-ग़ज़ल शामिल हैं। मैं भी लड़की हूँ का निर्देशन ए. सी. तिरूलोकचंदर ने किया था। फिल्म में मीना कुमारी नवोदित अभिनेता धर्मेंद्र के साथ हैं।
 
1965: काजल ने राम माहेश्वरी द्वारा निर्देशित जिसमें मीना कुमारी, धर्मेंद्र, राज कुमार, पद्मिनी, हेलेन, महमूद और मुमताज़ हैं। यह फिल्म 1965 की शीर्ष 20 फिल्मों में सूचीबद्ध थी। मीना कुमारी ने काजल के लिए अपना चौथा और आखिरी फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। फिल्म मूल रूप से गुलशन नंदा के उपन्यास "माधवी" पर आधारित थी। मीना कुमारी, अशोक कुमार और प्रदीप कुमार के साथ कालिदास के निर्देशन में बनी भीगी रात, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी द्वारा दो अलग-अलग संस्करणों में गाए गए प्रसिद्ध गीत "दिल जो ना कह सका" के साथ वर्ष की सबसे बड़ी हिट में से एक थी। । नरेंद्र सूरी द्वारा निर्देशित फिल्म पूर्णिमा में मुख्य भूमिकाओं में मीना कुमारी और धर्मेंद्र थे।
 
1966: फूल और पत्थर, ओ. पी. रल्हन द्वारा निर्देशित फ़िल्म, जिसमें मीना कुमारी और धर्मेंद्र ने मुख्य भूमिकाओं में अभिनय किया। यह फिल्म एक स्वर्ण जयंती हिट बन गई और धर्मेंद्र के फिल्मी सफर में मील का पत्थर साबित हुई यह फ़िल्म उस वर्ष की सबसे अधिक कमाई वाली फिल्म थी। फिल्म में मीना कुमारी के प्रदर्शन ने उन्हें उस वर्ष के लिए फिल्मफेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में नामांकित किया। फिल्म पिंजरे की पंछी का निर्देशन सलिल चौधरी ने किया था, जिसमें मुख्य भूमिकाओं में मीना कुमारी, बलराज साहनी और महमूद थे।
 
1967: मझली दीदी का निर्देशन हृषिकेश मुखर्जी और मीना कुमारी के साथ धर्मेंद्र ने अभिनय किया। यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए 41 वें अकादमी पुरस्कारों में भारत की प्रविष्टि थी। फिल्म बहू बेगम का निर्देशन एम. सादिक ने किया था, जिसमें मीना कुमारी, प्रदीप कुमार और अशोक कुमार थे। फिल्म में संगीत रोशन और गीत साहिर लुधियानवी द्वारा दिया गया है। नूरजहाँ, मोहम्मद सादिक द्वारा निर्देशित, मीना कुमारी और प्रदीप कुमार अभिनीत एक ऐतिहासिक फिल्म थी, जिसमें हेलन और जॉनी वॉकर छोटी भूमिकाओं में थे। इसमें महारानी नूरजहाँ और उनके पति, मुगल सम्राट जहाँगीर की महाकाव्य प्रेम कहानी का वर्णन किया गया है। फिल्म चंदन का पलना इस्माइल मेमन द्वारा निर्देशित किया गया, जिसमें मीना कुमारी और धर्मेंद्र ने अभिनय किया। ग्रहण के बाद (English: After the Eclipse), एस सुखदेव द्वारा निर्देशित 37 मिनट की एक रंगीन डॉक्यूमेंट्री थी जो वाराणसी के उपनगरीय इलाके में शूट की गई, इसमें अभिनेता शशि कपूर की आवाज के साथ मीना कुमारी की आवाज भी थी।
 
1968: बहारों की मंज़िल एक सस्पेंस थ्रिलर है जिसका निर्देशन याकूब हसन रिज़वी ने किया, जिसमें मीना कुमारी, धर्मेंद्र, रहमान और फरीदा जलाल शामिल हैं। यह फिल्म साल की प्रमुख हिट फिल्मों में से एक थी। फिल्म अभिलाषा का निर्देशन अमित बोस ने किया था। कलाकारों में मीना कुमारी, संजय खान और नंदा शामिल हैं।
 
==70 का दशक==
70 के दशक की शुरुआत में, मीना कुमारी ने अंततः अपना ध्यान अधिक 'अभिनय उन्मुख' या चरित्र भूमिकाओं पर स्थानांतरित कर दिया। उनकी अंतिम छह फिल्में- जबाव, सात फेरे, मेरे अपने, दुश्मन, पाकीज़ा और गोमती के किनारे में से केवल पाकीज़ा में उनकी मुख्य भूमिका थी। मेरे अपने और गोमती के किनारे में, हालांकि उन्होंने एक विशिष्ट नायिका की भूमिका नहीं निभाई, लेकिन उनकी भूमिका वास्तव में कहानी का केंद्रीय चरित्र थी।
1970: मीना कुमारी, जीतेंद्र, लीना चंदावरकर और अशोक कुमार द्वारा अभिनीत, रमन्ना द्वारा निर्देशित फिल्म थी। सात फेरे का निर्देशन सुधीर सेन ने किया था, जिसमें मीना कुमारी, प्रदीप कुमार और मुकरी निर्णायक भूमिका में थे।
 
1971: गुलज़ार द्वारा लिखित और निर्देशित, मेरे अपने में मीना कुमारी, विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ देवेन वर्मा, पेंटाल, असित सेन, असरानी, ​​डैनी डेन्जोंगपा, केश्टो मुखर्जी, ए. के. हंगल, दिनेश ठाकुर, महमूद और योगिता बाली हैं। दुलाल गुहा द्वारा निर्देशित दुश्मन, जिसमें मुख्य भूमिकाओं में मुमताज के साथ मीना कुमारी, रहमान और राजेश खन्ना हैं। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर "सुपर-हिट" रही।
 
1972: सावन कुमार टाक द्वारा निर्देशित गोमती के किनारे में मीना कुमारी, संजय खान और मुमताज़ ने अभिनय किया। यह फ़िल्म मीना कुमारी की मृत्यु के बाद 22 नवंबर 1972 को रिलीज हुई।
 
लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से [[1964]] में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म [[पाक़ीज़ा]] को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है। शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी।