"पलामू": अवतरणों में अंतर

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'''पलामू''' [[भारत]] में [[झारखंड]] प्रान्त का एक जिला है। इसका ज़िला मुख्यालय मेदनीनगर है। पहले यह [[डाल्टनगंज]] के नाम से जाना जाता था लेकिन आनंदमार्ग के लक्ष्मण सिंह, बैद्यनाछ साहू, युगलकिशोर सिंह, विश्वनाथ सिंह जैसे लोगों ने लंबे समय तक आंदोलन किया और शहर का नाम मेदिनीनगर किया गया। यहां के राजनीतिज्ञों में [[इंदर सिंह नामधारी]], ज्ञानचंद पांडेय, शैलेंद्र, केडी सिंह आदि मुख्य हैं। पत्रकारों में [[आलोक प्रकाश पुतुल]] ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल की है। अन्य पत्रकारों में रामेश्वरम, गोकुल बंसंत, फैयाज अहमद, उपेन्द्र नाथ पांडे का शामिल हैं। साहित्य के क्षेत्र में [[बिंदु माधव शर्मा]], युवा [[विद्या वैभव भारद्वाज]],अभिनव मिश्र, aur Kavivar Manish Mishra ईत्यादि ने अपनी कविता व लेखनी से पलामू का नाम राष्ट्रीय पटल पर अंकित करवाया है।
 
== इतिहास ==
=== प्रसिद्ध चेरो राजा ===
[[चित्र:betlapic.jpg|right|200px|बेतला के बाघ|कड़ी=Special:FilePath/Betlapic.jpg]]
सत्रहवीं सदी के प्रारंभिक दशकों में दक्षिण बिहार में चेरो राजा सबसे प्रभावशाली थे। भगवंत राय (१६१३-१६३०) एक दिलेर योद्धा था जिसने मुगलों से क्षेत्र छीनकर राज्य स्थापित किया था। अगले चेरो राजा अनंत राय (१६३०-१६६१) ने लंबे समय तक राज किया। उसका राज्यकाल संग्रामशील रहा क्योंकि उसे मुगलों के आक्रमणों का सामना करना पड़ा। मेदिनी राय (१६६२-१६७४) ने केवल १३ साल राज किया, लेकिन वह सबसे अधिक विख्यात चेरो राजा है। वह बड़ा ही न्यायप्रिय था और अपनी प्रजा से बहुत कम कर वसूलता था। पलामू के किलों में से पुराने किले का निर्माण इसी राजा ने करवाया था। मेदिनी राय के बाद प्रताप राय (१६७५-१६८१) का राज्यकाल शुरू हुआ। उसने पलामू के दूसरे किले का निर्माण कार्य आरंभ करवाया, लेकिन वह किले को पूरा नहीं कर सका। आज भी किला बनाने के लिए लाए गए पत्थरों का ढेर और अपूर्ण किले के हिस्सों का खंडहर पलामू के जंगलों में विद्यमान है।
 
=== पलामू के किले ===
'''{{मुख्य|पलामू के दुर्ग}}'''
[[चित्र:betla1.jpg|right|thumb|पलामू का किला|कड़ी=Special:FilePath/Betla1.jpg]]
जब चेरो राज्य उत्कर्ष पर था, पलामू एक अच्छी-खासी नगरी थी। उसमें अनेक भव्य बाजार थे और उसकी रक्षा के लिए दो मजबूत किले थे। ये किले ईंट-पत्थर के बने थे। उनके डेढ़ मीटर चौड़े बाहरी दीवारों में जगह-जगह तोप के गोलों के निशान हैं। नए किले में सुंदर नक्काशीवाला बड़ा फाटक था जिसे नागपुरी द्वार कहते हैं। दोनों किलों में गहरे कुंए थे, जिससे किले में शरण ली हुई सेना को पानी की कमी नहीं होती थी। किले के बगल से ओरंगा नदी बहती थी और किले के चारों ओर ऊंची पहाड़ियां और घने जंगल थे।
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पलामू" से प्राप्त