"शारदा देवी": अवतरणों में अंतर

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दक्षिणेश्वर में आनेवाले शिष्य भक्तों को सारदा देवी अपने बच्चों के रूप में देखती थीं और उनकी बच्चों के समान देखभाल करती थीं।
 
सारदा देवी का दिन प्रातः ३:०० बजे शुरू होता था। गंगास्नान के बाद वे [[जप]] और [[ध्यान]] करती थीं। रामकृष्ण ने उन्हें दिव्य मंत्र सिखाये थे और लोगों को दीक्षा देने और उन्हें आध्यात्मिक जीवन में मार्गदर्शन देने हेतु ज़रूरी सूचनासूचनाएँ भी दी थी। सारदा देवी को श्री रामकृष्ण की प्रथम शिष्या के रूप में देखा जाता हैं।है। अपने ध्यान में दिए समय के अलावा वे बाकी समय रामकृष्ण और भक्तों (जिनकी संख्या बढ़ती जा रही थी ) के लिए भोजन बनाने में व्यतीत करती थीं।
 
=== संघ माता के रूप में ===