"प्याज़े का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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6- मानसिक सहयोग द्वारा नये साधनों की खोज की अवस्था ( 18 माह से 24 माह )
 
=== पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था(पूर्व परिचालन अवस्था)===
इस अवस्था में बालक स्वकेन्द्रित व स्वार्थी न होकर दूसरों के सम्पर्क से ज्ञान अर्जित करता है। अब वह खेल, अनुकरण, चित्र निर्माण तथा भाषा के माध्यम से वस्तुओं के संबंध में अपनी जानकारी अधिकाधिक बढ़ाता है। धीरे-धीरे वह प्रतीकों को ग्रहण करता है किन्तु किसी भी कार्य का क्या संबंध होता है तथा तार्किक चिन्तन के प्रति अनभिज्ञ रहते हैं।
इस अवस्था में अनुक्रमणशीलता पायी जाती है। इस अवस्था मे बालक के अनुकरणो मे परिपक्वता आ जाती है इस अवस्था मे प्रकट होने वाले लक्षण दो प्रकार के होने से इसे दो भागों में बांटा गया है।
1. पूर्व प्रत्यात्मक काल: (2-4 वर्ष)
2. अंतः प्रज्ञककाल: / अन्तर्दर्शि अवधि (4-7 वर्ष)
इसे पूर्व संक्रियात्मक अवस्था भी कहते है।
 
=== मूर्त संक्रियात्मक अवस्था ===