"तारणपंथ": अवतरणों में अंतर

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==तारण तरण श्री संघ==
श्री संघ वास्तव में आदिनाथ भगवान के द्वारा प्रतिपादित है। श्री संघ का अर्थ चतुर्विद्य संघ।इसमें मुनि आर्यिका श्रावक श्राविका आते हैं।आचार्य तारण स्वामी ने जिन धर्म की वीतराग परम्परा में श्री संघ चलाया जिसमें सात मुनि,छत्तीस आर्यिका 60 ब्रम्हचारी और दो सौ इकतीस ब्रम्हचारिणी बहिनें शामिल थीं। वर्तमान में मुनि आर्यिका तो नहीं हैं पर ब्रम्हचारी वह ब्रम्हचारिणी बहिनें अवश्य हैं। वर्तमान में संघ के प्रमुख [[आत्मज्ञानी साधक परम श्रद्धेय युवा रत्न बा▪ ब्र▪ आत्मानंद महाराज जी]] व [[ अध्यात्म रत्न परम श्रद्धेय बाल ब्रह्मचारी ब्रम्हानंद जी(बसंत जी) महाराज]] हैं। समस्त श्री संघ के साधक अध्यात्म का विभाव विश्व मैं ज्ञान धारा बहा रहे हैं
संघ में लगभग १०० साधक साधिकाएं हैं।।आचार्य तारण स्वामी ने अपने आशीर्वाद में लिखा है - "श्री संघम् उवन्नं जयं - जयं"।
 
*'''साधक '''