"चारू मुजुमदार": अवतरणों में अंतर

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'''चारू मुजुमदार''' (बंगाली: চারু মজুমদার; 1918–1972) [[भारत]] के एक क्रांतिकारी कम्यूनिस्ट थे। धनी पारिवारिक कड़ियों को छोड़कर उन्होंने एक कठिन क्रान्तिकारी जीवन को चुना। उनका जन्म [[सिलीगुड़ी]] के एक खुशहाल ज़मीनदार परिवार में 1918 में हुआ था। आगे के जीवन में उन्होंने हथियारबंद [[नक्सलवाद|नकसल आन्दोलन]] में भाग लिया था। चारू ने [[1968 का नकसलबारी विद्रोह|1968 के नकसलबारी विद्रोह]] के ऐतिहासिक महत्व पर लिखा है और उसकी रचनाएँ आज भी लाल क्रांतिकारियों का मार्गदर्शन करती हैं। <ref>{{cite web|url=http://www.hindustantimes.com/News-Feed/NM1/Charu-Majumdar-The-Father-of-Naxalism/Article1-6531.aspx
|title= Charu Majumdar -- The Father of Naxalism
|publisher=हिन्दुस्तान टाइम्स}}</ref>
 
==जीवन==
चारू का जन्म 1918 में [[सिलीगुड़ी]] में हुआ। उसके पिता एक [[भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम|स्वतन्त्रता सेनानी]] थे। उसने 1938 में कॉलेज छोड़ दिया था। 1946 में वह [[तेभागा आन्दोलन]] से जुड़ गए थे। उन्हें थोड़े से समय के लिए 1962 में जेल में बन्द किया गया था।
 
1937-38 में कॉलेज की पढ़ाई को छोड़कर चारू [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] से जुड़ गए और [[बीड़ी]] कर्मचारियों को संगठित करने के प्रयास में जुट गए। इसके पश्चात वह [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी]] में शामिल हो गए ताकि इसकी किसान शाखा के लिए काम कर सकें। जल्द ही उनके नाम एक गिरफ़्तारी का वॉरंट जारी हुआ जिसके कारण उन्हें बाएँ कार्यकर्ता के रूप में पहली बार भूमिगत होना पड़ा। हालांकि सी पी आई को प्रथम विश्व युद्ध के समय प्रतिबंधित किया गया था, वह सी पी आई की गतिविधियों को किसानों के बीच जारी रखे और [[जलपुरीगंज]] जिला कमिटि के 1942 में सदस्य बन गए थे। इस प्रगति से प्रेरित होकर चारू ने ''फ़सल को क़बज़े लेने का अभियान'' [[जलपुरीगंज]] में [[भारत में अकाल|1943 के बड़े अकाल]] के दौरान सफलतापूर्वक चलाया। 1946 में वह [[तेभागा आन्दोलन]] से जुड़े और उत्तर बंगाल के कामगारों के लिए हथियारबंद आन्दोलन शुरू किया। इसके पश्चात वह कुछ समय के लिए [[दार्जीलिंग जिला|दार्जीलिंग]] के चाय के बागानों के कर्मचारियों के बीच काम करते रहे।
 
सी पी आई को 1948 में प्रतिबंधित किया गया था। चारू ने अगले तीन वर्ष जेल में बिताए। जनवरी 1954 में चारू ने लीला मुजुमदार सेनगुप्ता शादी की जो [[जलपुरीगंज]] से सी पी आई की सदस्या रही थी। इस जोड़े ने [[सिलीगुड़ी]] की ओर प्रस्थान किया जो अगले कुछ सालों तक मुजुमदार की गतिविधियों का केन्द्र बना रहा। यहीं पर उसके बीमार पिता और अवैवाहित बहन गम्भीर दरिद्रता का जीवन जी रहे थे। {{cn}}
 
1960 की दशक से मध्य में मजुमदार ने उत्तर बंगाल में सी पी एम में एक बाईं टुकड़ी बनाई। 1967 में [[नकसलबारी]] एक हथियारों से लैस किसान विद्रोह छिड़ गया जिसकी अगुवाई कॉमरेड [[कानू सान्याल]] कर रहे थे। इस दल को आगे चलकर [[नक्सलवाद|नकसली]] कहा जाने लगा। ऐसे समय पर चारू ने आठ लेख लिखे थे जिनका उद्देश्य यह था कि सफल क्रांति चीनी क्रांति के मार्ग पर हिंसात्मक संघर्श का रूप ले सकती है। 1969 में चारू ने ऑल इंडिया कोऑरडिनेशन कमिटी ऑफ़ कम्यूनिस्ट रेवोलूशनरीज़ बनाई जिसके वह जेनेरल सेकरेटरी बने। जुलाई 16, 1972 को चारू को अपने खुफ़िया ठिकाने से पकड़ा गया। 28 जुलाई को रात 4 बजे वह लॉक-अप में अपनी अंतिम साँसे ले चुके थे। मृत्यु हृदयाघात से हुई थी।
 
मृत शरीर भी परिवार को नहीं सौंपा गया। पुलिस, निकटतम परिवारजनों के साथ शरीर को शवदाहगृह ले गई। पूरा इलाका घेरे में लिया गया था और किसी भी दूसरे रिश्तेदार को जिस्म को जलाते समय अन्दर आने की अनुमति नहीं दी। .<ref>{{cite web|url=http://www.indianexpress.com/news/the-last-of-the-three/595405/0
|title= The last of the three
|publisher=द इंडियन एक्सप्रेस}}</ref>
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
==बाहरी कड़ियाँ==
* [http://lesmaterialistes.com/english/there-charu-mazumdar-thought Is there a Charu Mazumdar Thought?]
* [http://www.marxists.org/reference/archive/mazumdar/index.htm Charu Majumdar Archives]
 
[[श्रेणी:1918 में जन्मे लोग]]
[[श्रेणी:१९७२ में निधन]]