"संत तारण तरण स्वामी": अवतरणों में अंतर

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==जीवनी==
आचार्य तारण तरण देव का जन्म पुष्पावति नामक नगरी में वि.सं.१५०५ अगहन सुदी सप्तमी दिन गुरुवार को हुआ। इनकी माता वीरश्री देवी व पिता गढाशाह थे। इन्हें ११ वर्ष की आयु में सम्यक दर्शन, २१वर्ष की आयु में ब्रम्हचर्य व्रत,३०वर्ष की आयु में सप्तम प्रतिमा और साठ वर्ष की आयु में दिगंबर मुनि पद ग्रहण किया। इनकी समाधि निसईजी मल्हारगढ में ज्येष्ठ वदी छट् वि.सं.१५७२ को हुई। इनके जीवन में दो उपसर्ग हुए पहला नदी में डुबाया गया परंतु उस जगह टापू बन गया। दूसरा उन्हें जहर पिलाया गया परंतु उनको उसका आसारअसर नहीं हुआ।
 
==रचना==