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भक्तिकाल की दूसरी धारा को [[सगुण]] भक्ति धारा के रूप में जाना जाता है। सगुण भक्तिधारा दो शाखाओं में विभक्त है- [[रामाश्रयी शाखा]], तथा [[कृष्णाश्रयी शाखा]]।
रामाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि हैं- [[तुलसीदास]], [[अग्रदास]], [[नाभादास]], [[केशवदास]], [[हृदयराम]], [[प्राणचंद चौहान]], [[महाराज विश्वनाथ सिंह]] , [[रघुनाथ सिंह]]।
 
कृष्णाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि हैं- [[सूरदास]], [[नंददास]], [[कुम्भनदास]], [[छीतस्वामी]], [[गोविन्द स्वामी]], [[चतुर्भुज दास]], [[कृष्णदास]], [[मीरा]], [[रसखान]], [[रहीम]] आदि। चार प्रमुख कवि जो अपनी-अपनी धारा का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये कवि हैं (क्रमशः)
 
[[कबीर]]दास (१३९९)-(१५१८)