"ताण्ड्य ब्राह्मण": अवतरणों में अंतर
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'''ताण्ड्य ब्राह्मण''' सामवेद का सर्वप्रमुख [[ब्राह्मणग्रन्थ]] है। इसका सम्बन्ध सामवेद की ताण्डि-शाखा से है। इसीलिए इसका नाम ताण्ड्य है। इसमें २५ अध्याय हैं, इसलिए इसे 'पंचविंश ब्राह्मण' भी कहते हैं। विशालकाय होने के कारण इसकी संज्ञा 'महाब्राह्मण' है। इसमें यज्ञ के विविध रूपों का प्रतिपादन किया गया है, जिसमें एक दिन दिन से लेकर सहस्त्रों वर्षों तक समाप्त होने वाले यज्ञ वर्णित हैं।
==इन्हें भी देखें==
==सन्दर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
[[श्रेणी:ग्रन्थ]]
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