"मुफ़्ती मोहम्मद सईद": अवतरणों में अंतर

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==राजनीतिक जीवन==
मुफ़्ती ने अपना राजनैतिक जीवन 50 के दशक के अन्तिम वर्षों में डेमोक्रेटिक नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ प्रारंभ किया और वर्ष 1962 में पहली बार बिजबेहरा से विधायक चुने गए।<ref name ="LiveH" /> वर्ष 1967 में वे इसी सीट पर पुनः निर्वाचित हुए और गुलाम मुहम्मद सादिक़ की सरकार में उपमंत्री बनाये गए। कुछ समय पश्चात वे डेमोक्रेटिक नेशनल कॉन्फ्रेंस से अलग होकर [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए। वे कुछ उन गिने-चुने लोगों में से एक थे जिन्होंने कांग्रेस को घाटी में महत्वपूर्ण राजनैतिक समर्थन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। वर्ष 1972 में राज्य की कांग्रेस सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री तथा विधान परिषद में कांग्रेस का नेता बनाया गया। वर्ष 1986 में उन्हें [[राजीव गांधी]] सरकार के मंत्रिमंडल में पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।<ref name ="LiveH" /> वे वर्ष 1987 में [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] के नेतृत्व वाले जनमोर्चा में सम्मिलित हो गए। वर्ष 1989 में उन्होने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और वी॰पी॰ सिंह के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार में उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री बनाया गया। वे देश के गृहमंत्री बनने वाले प्रथम मुस्लिम व्यक्ति थे।<ref name ="LiveH" /> उनके मंत्रिकाल में इनकी बेटी रूबैया सईद का आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में अपहरण कर लिया।<ref name="aajtak" /> आतंकियों ने पांच आतंकियों को जेल से रिहा करने के पश्चात उनकी बेटी को छोड़ा। इन्ही के गृह मंत्री रहते ही कश्मीर से कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार शुरु हुए और उनके साथ अमानवीय प्रताड़ना के बाद उन्हे अपना पैतृक स्थान छोड़कर अन्यत्र शरण लेने के लिए विवश होना पड़ा [[पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव]] के कार्यकाल में वे एक बार फिर कांग्रेस के साथ आए लेकिन वे कांग्रेस के साथ अधिक समय तक साथ नहीं रह पाये। वर्ष 1999 में उन्होने कांग्रेस को छोड़कर एक नये क्षेत्रीय राजनैतिक संगठन [[जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी]] ([[पीडीपी|पी॰डी॰पी॰]]) का गठन किया। वर्ष 2002 में संपन्न जम्मू कश्मीर विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी ने सहभागिता की और विधान सभा की 16 सीटों पर विजय प्राप्त की। इस विजय के पश्चात उन्होने कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनायी, जिसमें मुख्यमंत्री के रूप में 2 नवंबर, 2002 से लेकर 2 नवंबर 2005 तक उन्होने पहली बार जम्मू-कश्मीर सरकार का नेतृत्व किया।<ref name ="LiveH" /> वर्ष 2015 में संपन्न जम्मू-कश्मीर राज्य के विधान सभा चुनाव में इनके नेतृत्व में पी॰डी॰पी॰ सबसे बड़ी विजेता पार्टी बनी, जिसने भाजपा के साथ गठबंधन करके सरकार बनायी और वे दुबारा मुख्यमंत्री बने।<ref name="aajtak">{{cite news|title=सिर्फ रूबिया प्रकरण के लिए ही याद नहीं किए जाएंगे मुफ्ती|date= 7 जनवरी 2016
|accessdate=8 जनवरी 2016|publisher=आज तक|url=http://aajtak.intoday.in/story/things-to-know-about-mufti-mohammad-sayeed-apart-from-rubaiya-case-1-849281.html}}</ref>