"भवाली": अवतरणों में अंतर
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== पर्यटन ==
[[चित्र:Golu Ghorakhal.JPG|अंगूठाकार|left|गोलू देवता मंदिर, [[घोडाखाल, नैनीताल तहसील|घोड़ाखाल]], भवाली]]
'भवाली' नगर भले ही छोटा हो परन्तु उसका महत्व बहुत अधिक हैं। भवाली के नजदीक कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका अपना महत्व है। यहाँ पर कुमाऊँ के प्रसिद्ध गोलू देवता का प्राचीन मन्दिर है, तो यहीं पर घोड़ाखाल नामक एक सैनिक स्कूल भी है। 'शेर का डाण्डा' और 'रेहड़ का डाण्डा' भी भवाली से ही मिला हुआ है।
[[चित्र:Sanitorium.jpg|बाएँ|अंगूठाकार|278x278पिक्सेल|'''प्राचीन जाबर महादेव शिव मंदिर, सेनिटोरियम''']]
भीमताल, नौकुचियाताल, मुक्तेश्वर, रामगढ़ अल्मोड़ा और रानीखेत आदि स्थानों में जाने के लिए भी काठगोदाम से आनेवाले पर्यटकों, सैलानियों एवं पहारोहियों के 'भवाली' की भूमि के दर्शन करने ही पड़ते हैं - अतः 'भवाली' का महत्व जहाँ भौगोलिक है वहाँ प्राकृतिक सुषमा भी है। इसीलिए इस शान्त और प्रकृति की सुन्दर नगरी को देखने के लिए सैकड़ों - हजारों प्रकृति - प्रेमी प्रतिवर्ष आते रहते हैं।
नैनीताल से भवाली की दूरी केवल ११ किनोमीटर है। नैनीतैल आये हुए सैलानी भवाली की ओर अवश्य आते हैं। कुछ पर्यटक कैंची के मन्दिर तक जाते हैं तो कुछ 'गगार्ंचल' पहाड़ की चोटी तक पहुँचते हैं। कुछ पर्यटक 'लली कब्र' या लल्ली की छतरी को देखने जाते हैं। कुछ पदारोही रामगढ़ के फलों के बाग देखने पहुँचते हैं। कुछ जिज्ञासु लोग 'काफल' के मौसम में यहाँ 'काफल' नामक फल खाने पहुँचते हैं। 'भवाली' १६८० मीटर पर स्थित एक ऐसा नगर है जहाँ मैदानी लोग आढ़ू ; सेब, पूलम (आलूबुखारा) और खुमानी के फलों को खरीदने के लिए दूर - दूर से आते हैं।
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